tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post6285045918870405190..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: और पहुँच गए नैनीतालनीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-41821284364364846752019-03-17T13:07:47.962+05:302019-03-17T13:07:47.962+05:30शानदार अनुभव, पहली बार जाने का रोमांच ही अलग होता ...शानदार अनुभव, पहली बार जाने का रोमांच ही अलग होता है।Sudhir Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15069217483517314433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-22191068563950431422018-09-12T18:48:13.574+05:302018-09-12T18:48:13.574+05:30बहुत ही बढ़ियाबहुत ही बढ़ियाअनिल गोयलhttps://www.blogger.com/profile/17725582444065337835noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-17378356119771047222008-11-26T10:10:00.000+05:302008-11-26T10:10:00.000+05:30भई, ये भी एक निराला अंदाज ही निकला घुमक्कड़ी का. इस...भई, ये भी एक निराला अंदाज ही निकला घुमक्कड़ी का. इसका निश्चित ही अलग रोमांच होगा. बढ़िया है..किस्सागोही भी रोचक है. जारी रहिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-6019535206621062382008-11-26T09:39:00.000+05:302008-11-26T09:39:00.000+05:30@tau rampuria, ताऊ, कॉलेज की छुट्टियों में जाने क...@tau rampuria, <BR/>ताऊ, कॉलेज की छुट्टियों में जाने का मजा ही कुछ और है. भरपूर टाइम मिलता है घूमने के लिए. अब मेरे ऊपर तो घरवालों का डंडा है, कहीं जा ही नहीं सकता. अब अपने पैरों पर खडा होकर थोडा बहुत चोरी छिपे घूम लेता हूँ. मेरी इस यायावरी का तो घर वालों को पता ही नहीं है. इसलिए मै अचानक निकल पड़ता हूँ. <BR/><BR/>@masijeevi,<BR/>भाई, ये हुत्थली क्या है, मेरी समझ में नहीं आया.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-16452476944331270202008-11-26T06:09:00.000+05:302008-11-26T06:09:00.000+05:30भाग दो का इंतज़ार रहेगा!भाग दो का इंतज़ार रहेगा!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-67192396711434084042008-11-25T20:07:00.000+05:302008-11-25T20:07:00.000+05:30bahut rochak --mujhey bhi nainitaal ki sair ki yaa...bahut rochak --mujhey bhi nainitaal ki sair ki yaad aa gayee-shayad sari trains kathgodam se badali jaati hainAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-10578047854582401112008-11-25T19:54:00.000+05:302008-11-25T19:54:00.000+05:30बहुत चुस्त लेखन है आपका ! तारतम्य टूटता नही है ! इ...बहुत चुस्त लेखन है आपका ! तारतम्य टूटता नही है ! इस तरह की यायावरी के अपने ही मजे हैं ! हम लोग भी कालेज से छुटियो में दार्जिलिंग जाया करते थे ५/६ दोस्त मिलकर ! वहाँ के खर्चे के लिए दिन में दो दोस्त स्टाल लगाते थे ! और नंबर से बाक़ी के घूमते थे ! सब सामान जैसे कंघा, शीसा , बटन सूई धागे जैसी जरुरत की चीजे कलकाता से ही थोक में ले जाते थे ! कोई महीना भर आराम से वहाँ रहते थे ! क्या दिन थे वो भी ? पर आपकी तरह अचानक नही गए कभी ! सब प्लानिंग से जाते थे ! आप तो हमारे भी गुरु निकले ! बधाई ! घूमते रहिये और लिखते रहिये ! शुभकामनाएं !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-23059704001793889602008-11-25T16:57:00.000+05:302008-11-25T16:57:00.000+05:30अरे वाह गजब हुत्थली हैं आप भी। इस तरह के अनियोज...अरे वाह गजब <A> हुत्थली </A> हैं आप भी। इस तरह के अनियोजित घुमक्कड़ी में जो मजा उसे वहीं समझ सकता है जिसने इसे भोगा हैमसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-83672947908204187632008-11-25T16:21:00.000+05:302008-11-25T16:21:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखा है। सरसता निरन्तर लेख को बाँधे रखत...बहुत अच्छा लिखा है। सरसता निरन्तर लेख को बाँधे रखती है।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-33333032252826885402008-11-25T16:01:00.000+05:302008-11-25T16:01:00.000+05:30बहुत दिलचस्प post रही आप की...बहुत maja आ रहा है ...बहुत दिलचस्प post रही आप की...बहुत maja आ रहा है पढ़ कर...आगे क्या होगा की ललक है मन में...ये ही लेखन की सफलता है...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com