संक्षेप में इस यात्रा को लिखेंगे। काम का बहुत दबाव है और समय की भारी कमी। प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को देश घूमने के लिये सरकार खर्चा देती है। इसे एल.टी.सी. कहते हैं। इसे लेने के इतने सारे नियम होते हैं कि किसी के लिये सभी नियम याद रख पाना संभव नहीं होता। फिर कुछ नियम ऐसे भी हैं जो समय-समय पर बदलते रहते हैं या आगे कुछ समय के लिये विस्तारित होते रहते हैं। मैं एल.टी.सी. के नियम ज्यादा नहीं जानता। वैसे भी चार साल में एक बार या दो बार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। अपना चार साल में पचास बार बाहर जाने का काम है। एक बार खर्चा सरकार दे देगी, तो उनचास बार अपनी जेब से ही सब खर्चा करना होता है। तो सरकार द्वारा दी जाने वाली इस सुविधा को मैं अक्सर भूल जाता हूँ। एल.टी.सी. का एक मास्टर सर्कुलर है अपने यहाँ। मैंने इसे ही पढ़ लिया और इसी के अनुसार टिकट बुकिंग कर ली। यह सर्कुलर कहता है कि अंडमान जाने के लिये आपको दिल्ली से पहले कोलकाता ट्रेन से जाना पड़ेगा और उसके बाद हवाई जहाज से। बाद में ... वापस लौटकर पता चला कि एक अस्थायी नियम भी चल रहा है जिसके अनुसार हम दिल्ली से सीधे पोर्ट ब्लेयर की फ्लाइट
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग