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डोडीताल यात्रा- उत्तरकाशी से अगोडा

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31 मार्च 2015
दोपहर बाद दो बजे हम उत्तरकाशी से पांच किलोमीटर आगे गंगोरी में थे। यहां असी गंगा पर पुल बना हुआ है। यहीं से डोडीताल का रास्ता अलग हो जाता है। दस किलोमीटर आगे संगमचट्टी तक तो सडक बनी है, उसके बाद 23 किलोमीटर पैदल चलना पडता है, तब हम डोडीताल पहुंच सकते हैं।
गंगोरी में एक जीप वाले से संगमचट्टी के रास्ते की बाबत पूछा तो उसने बताया कि यह रास्ता बहुत खराब है। बाइक जानी भी मुश्किल है, आप बाइक यहीं खडी कर दो और संगमचट्टी के लिये टैक्सी कर लो। हम अभी थोडी ही देर पहले धरासू बैंड से उत्तरकाशी आये थे। वहां भी कई जगह बडी खराब सडक थी। हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और कहा- उससे भी ज्यादा खराब सडक मिलेगी क्या? और बाइक पर ही चल पडे।
चार किलोमीटर आगे सडक नदी के बिल्कुल पास से होकर जा रही थी। हमारा जी ललचा गया और हम रुक गये। जैसा कि हिमालयी नदियों में होता है, बडे बडे पत्थर थे और इनके बीच से नदी बह रही थी। अच्छा वातावरण था। हम आधे घण्टे तक यहां रुके रहे। इसके बाद आगे बढे तो जल्दी ही पता चल गया कि जीप वाले ने गलत नहीं कहा था। जो खराब रास्ता हम उत्तरकाशी से पीछे छोड आये थे, वो तो इसके आगे कुछ भी नहीं था। आगे पूरे रास्ते ढीले पत्थर पडे मिले जो मोडों पर बडी समस्या करते। एक जगह कीचड मिला। मैं झट से रुक गया, निशा बाइक से उतर गई। बाइक को पहाड की तरफ किया, फिर भी इसे पार करने की हिम्मत नहीं हुई। इस कीचड में पत्थर नहीं थे, फिसलन थी। काफी नीचे असीगंगा बह रही थी। बडी मुश्किल से यह भी पार हुआ।
तीन बजे संगमचट्टी पहुंचे। यह कोई गांव नहीं है। कुछ दुकानें, लोहे का एक पुल और कुछ जीपें यहां खडी थीं। सडक तो आगे कहीं चली जाती है। लोहे का पुल पार करके पगडण्डी है जो आगे 23 किलोमीटर दूर डोडीताल जाती है। इसके रास्ते में कई गांव आते हैं। उन गांवों के लिये यह स्थान बस अड्डा है। हालांकि यहां कोई बस नहीं आती। सारा यातायात जीपों से होता है। उत्तरकाशी तक का किराया 30 रुपये है।
पीछे बैठे होने के कारण निशा की बडी खराब हालत हो गई थी। वह बहुत देर से दुआ मना रही थी कि कब बाइक का रास्ता समाप्त हो और पैदल रास्ता शुरू हो। मैंने दो बार बाइक पर पीछे बैठकर लम्बी यात्राएं कर रखी हैं तो इस परेशानी को बखूबी समझता हूं। वो तो अच्छा था कि सारा सामान हमने बांधा हुआ था, कंधों पर कोई वजन नहीं था लेकिन फिर भी बहुत कष्ट होता है पीछे वाले को। चलाने वाले को तो मजा आता है, उसे कोई समस्या नहीं होती।
आमलेट खाये, चाय पी और आज की छह किलोमीटर की अगोडा तक की पैदल यात्रा शुरू कर दी। बाइक यहीं खडी कर दी। पौने चार बजे थे। हमने तीन घण्टे में अगोडा पहुंचने का अन्दाजा लगाया। लेकिन जब पुल पार करके थोडी सी चढाई चढकर सामने अगोडा गांव दिख गया तो बडी राहत मिली। अब हम ढाई घण्टे में ही अगोडा पहुंच जायेंगे। संगमचट्टी की समुद्र तल से ऊंचाई 1550 मीटर है। अगोडा 2100 मीटर पर है।
ज्यादा तेज चढाई नहीं है। काफी चौडी पगडण्डी है। इधर कई गांव हैं इसलिये रास्ते में अच्छा खासा आना-जाना लगा था। आदमी भी आ-जा रहे थे और खच्चर भी। सामने बर्फीले पहाड दिख रहे थे। इन पर वर्षपर्यन्त बर्फ नहीं रहती बल्कि सर्दियों में ही रहती है। अब सर्दियां गुजर रही हैं, इसलिये बर्फ भी रोज कम होती जा रही है। इन पहाडों के उस पार भागीरथी घाटी है और दयारा बुग्याल है। या यूं कहें कि ऊपर जो बर्फ दिख रही है वो दयारा बुग्याल का ही उच्चतम भाग है तो गलत नहीं होगा। महीने भर में ही सब बर्फ पिघल जायेगी, दयारा बुग्याल खिल उठेगा। हालांकि दयारा का परम्परागत रास्ता इधर से नहीं जाता बल्कि उधर भागीरथी घाटी से ही जाता है। उधर गंगोत्री वाली सडक पर बडसू गांव है, उससे पांच छह किलोमीटर से दयारा शुरू हो जाता है और दूर दूर तक फैला है। उत्तराखण्ड के कुछ बुग्याल बडे प्रसिद्ध हैं जैसे- दयारा, पंवालीकांठा, बेदिनी आदि।
आप हिमालय में किसी नदी घाटी में हों, आपके सामने कम से कम चार हजार मीटर ऊंचे पहाड हों तो काफी सम्भावना है कि दोपहर बाद उस स्थान पर बारिश होगी। यहां भी ऐसा होने लगा था। सामने के चार हजारी पहाडों पर बादल बनने लगे थे और वे इधर असीगंगा घाटी में फैलने लगे थे। बारिश तो होनी ही होनी थी। जैसे जैसे अगोडा नजदीक आता जा रहा था, बादल भी नजदीक और घने होते जा रहे थे और गडगडाहट व बिजली भी गिरती जा रही थी। दयारा वाले पहाडों पर तो वर्षा आरम्भ भी हो गई थी।
अगोडा से आधा किलोमीटर पहले एक गांव है, नाम ध्यान नहीं। जब हम उसकी हद में पहुंचे तो बूंदाबांदी शुरू हो गई। तेज कदमों से चलते हुए गांव में पहुंचे और एक खाली शेड में शरण ले ली। अभी बूंदाबांदी ज्यादा तेज तो नहीं थी लेकिन सम्भावना थी कि कुछ ही देर में बढ जायेगी, इसलिये रुकना पडा। तभी एक दसेक साल का लडका आया और बोला- चॉकलेट दे दो। हमारे पास चॉकलेट तो नहीं थी, टॉफी थी, एक उसे दे दी और इसके बदले उससे अपनी पानी की खाली बोतल भरवा ली।
दस मिनट तक बूंदाबांदी नहीं रुकी तो मैंने निशा से कहा- हिम्मत करके चल देते हैं। ऐसी बारिश का कोई भरोसा नहीं होता कि कब तक होती रहे। आधी रात भी हो सकती है और सुबह भी। वैसे भी उधर कश्मीर में बाढ आई हुई है। हाई अलर्ट घोषित है। उधर का पश्चिमी विक्षोभ इधर आ मिला तो कई दिनों तक भी बारिश हो सकती है। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार दो दिनों तक तो ऐसा नहीं होगा, लेकिन तीसरे दिन सुबह ही पश्चिमी विक्षोभ यहां तक आ जायेगा और फिर कई दिनों तक मौसम खराब होता रहेगा।
बूंदाबांदी में ही चल पडे। अगोडा पहुंचे, बूंदाबांदी ने बारिश की शक्ल ले ली थी। गांव में प्रवेश करते ही एक बोर्ड दिखा जिस पर एक रेस्ट हाउस के बारे में लिखा था। हमें नहीं पता था कि रेस्ट हाउस कितना दूर है। फिर हम पिछले गांव से तेज तेज यहां तक आये थे, बुरी तरह हांफ रहे थे। एक निर्माणाधीन मकान में शरण ले ली। हमारे शरण लेते ही बारिश बढ गई और मूसलाधार बारिश होने लगी। एक बार तो मन में आया कि यहीं टैंट लगा लेते हैं लेकिन हम भूखे थे। कुछ देर प्रतीक्षा की। बारिश कम हुई तो मैं बाहर निकला। पचास मीटर दूर ही एक पक्के मकान पर रेस्ट हाउस लिखा था। तुरन्त बारिश में ही चल दिये और उसमें जा पहुंचे।
यहां तीन सौ का एक कमरा मिल गया, चाय मिल गई और रात को भरपेट स्वादिष्ट भोजन भी। उधर बारिश एक डेढ घण्टे तक तो खूब जोरदार होती रही, फिर आसमान साफ हो गया। यही खासियत होती है इस सांयकालीन बारिश की।
रात साढे आठ बजे बाहर निकला। मौसम बिल्कुल साफ था। सामने नदी के उस तरफ एक झरना दिख रहा था। कैमरे को दीवार पर रखा और तीस सेकण्ड का शटर टाइम लगाकर फोटो ले लिया। इसके बाद एक फोटो जब गैलरी का ले रहा था तो मन में आया कि कैमरे के सामने टहला जाये। तीस सेकण्ड तक कैमरे के सामने टहलता रहा। फोटो देखा तो मैं फोटो में आया ही नहीं था। यही खासियत होती है ऐसे फोटुओं की। फिर मैं कैमरा चालू करके पन्द्रह-बीस सेकण्ड इसके सामने स्थिर खडा रहा, फिर वहां से हट गया। पारदर्शी फोटो आया, जैसे कोई भूत हो और उसके पीछे की वस्तुएं भी दिख रही थीं।
और फिर सो गये।



असी गंगा किनारे 



यही था वो कीचड वाला रास्ता... बडा डर लगा था इसे पार करने में।




यहां मोटरसाइकिल खडी की।

सडक छोडकर अब पैदल रास्ता शुरू





सामने दिखता अगोडा गांव

अगोडा का रात के घुप्प अन्धेरे में लिया गया फोटो

आपको दिखाई तो नहीं दे रहा होगा... इस फोटो में मैं भी हूं। कुर्सी के आसपास टहल रहा हूं।


यह भी रात के अन्धेरे का है।

अगले दिन सवेरे का फोटो


अगला भाग: डोडीताल यात्रा- अगोडा से मांझी


डोडीताल यात्रा
1. डोडीताल यात्रा- दिल्ली से उत्तरकाशी
2. डोडीताल यात्रा- उत्तरकाशी से अगोडा
3. डोडीताल यात्रा- अगोडा से मांझी
4. डोडीताल यात्रा- मांझी से उत्तरकाशी
5. उत्तरकाशी से दिल्ली वाया मसूरी




Comments

  1. bhai maan gye aap dono ko aur
    sadak vakaiy me khatrnak hai

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  2. रोमांचक यात्रा के साथ शानदार फोटो, ऐसी जगहों पर ट्रैकिंग का अलग ही मज़ा है नीरज भाई..

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  3. Neeraj bhai aap logon ke liye ek ek dum perfect gana yaad araha hai..
    Bol kuch is taraha hain..

    Kya mausam hai, aye deewane dil
    Arre chal kahin door nikal jaayein
    Chal kahin door nikal jaayein

    Koi humdam hai, chahat ke kaabil
    To kis liye hum sambhal jaayein
    Chal kahin door nikal jaayein

    Jhoom ke jab jab kabhi do dil gaate hain
    Chaar kadam chalte hain phir kho jaate hain
    Aisa hai to kho jaane do mujhko bhi aaj
    Yeh kya kam hai do pal ko raahi
    Arre mil jaayein behal jaayein
    Chal kahin door nikal jaayein


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  4. Ye video ka link hai dekhna bhai..

    https://www.youtube.com/watch?v=3FuI7CK_Icg

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका, प्रदीप जी...

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  5. अतिरोमांचक यात्रा....

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  6. कैसे कैसे दुर्गम रास्तों पर ..! अभिनन्दन इस साहस और उत्साह का , इस खूबसूरत जोड़ी का ..

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  7. foto number 11 sabse badhiya. aur foto no 14 me tumhare pet ki golai dikh rahi hai :D

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  8. हमारा कमेन्ट क्यों कैंसिल हुआ

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    1. कैंसिल नहीं हुआ सर जी, वो आपने दूसरी पोस्ट पर किया था, उधर छपा है।

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  9. जीवन -साथी के साथ पहली यादगार यात्रा शानदार है | छाया -चित्र भी चमकदार लुभावने है |हम आपके पुराने पाटक है | यदि कभी अकेले कार्यक्रम बने तो याद कर ले सह -यात्री के रूप चलने को इच्हुक हू | 09455062286

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    1. अब तो जी अकेले कार्यक्रम बनना नामुमकिन है।

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  10. घुमक्कड़ जोड़ी को सुन्दर यात्रा तथा सुन्दर चित्रावली के लिए शुभकामनायें।

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  11. सुन्दर यात्रा,दृश्य और फोटोके लिये बधाई भी और आभार भी।

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  12. बहुत सूंदर यात्रा वृतान्त आपको शुभकामनाये

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  13. Neeraj bhai kya kehne aap ke, bhaabi g ko bhi ghumaakad bnaa dea
    Aur vo bhi itni jldi...........Good luck

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  14. कीचड़ वाला रास्ता सच में खतरनाक है, डबल सवारी होने पर बाईक फ़िसलती है।

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  15. वाह नीरज भाई मजा आ गया हर बार की तरह ही और जैसा की कुछ लग कह रहे थे शादी होने के बाद भाभीजी सारी मुसाफिरी बंद करवा देगी पर अब ऐसा लगता है जल्दी ही आप भाभीजी को भी एक्सपर्ट बना लोगे और हमें ऐसे ही हमेशा अच्छे - अच्छे यात्रा वृतान्त पढने को मिलते रहेंगे।

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  16. जीवन -साथी के साथ पहली यादगार यात्रा congratulation niraj bhai

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    1. सहरावत जी, यह पहली नहीं बल्कि दूसरी यात्रा थी जीवन साथी के साथ।

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  17. मैं इस पोस्ट पर केवल इसलिए आया ताकि जान सकूँ की आप बाइक कहाँ खड़ी करते हो? क्या किसी को सम्हलाते हो या फिर भगवन भरोसे।

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  18. अभी तक अकेले कही भी तंबू गाड़ लेते थे नीरज पर अब मुश्किल होगा एक औरत की सुरक्षा जरुरी होती है।

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  19. Wow, She looks a perfect trekker, Hat's off to you both.

    Thanks,
    MB

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