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आज तारीख थी 17 अगस्त 2014
आपको ध्यान होगा कि मैं पवित्र गोम्बोरंजन पर्वत के नीचे एक अकेले कमरे में सो गया था। रात में एकाध बार आंख भी खुली थी लेकिन मैं चूंकि सुरक्षित स्थान पर था, इसलिये कोई डर नहीं लगा। हां, एकान्त में होने का एक अजीब सा डर तो होता ही है।
साढे सात बजे आंख खुली। कुछ बिस्कुट खाये, पानी पीया, बिस्तर समेटा और सवा आठ बजे तक निकल पडा। अब ऊंचाई बढने लगी थी और रास्ता भी ऊबड खाबड होने लगा था। जिस स्थान पर मैं सोया था, वो जगह समुद्र तल से 4250 मीटर पर थी, अब जल्दी ही 4400 मीटर भी पार हो गया। वैसे तो अभी भी बडी चौडी घाटी सामने थी लेकिन इसमें छोटी छोटी कई धाराओं के कारण रास्ता बिल्कुल किनारे से था जहां बडे-बडे पत्थरों की भरमार थी।
सामने बहुत दूर खच्चरों का एक बडा दल इस घाटी को पार कर रहा था। कैमरे को पूरा जूम करके देखा तो पता चला कि उन पर कुछ राशन लदा है और कुछ लोग पैदल भी चल रहे हैं। निश्चित ही वह एक ट्रेकिंग ग्रुप होगा जो आज लाखांग में रुका होगा। आज शिंगो-ला पार कर लेगा।
लाखांग मुझे दिख नहीं रहा था लेकिन उस ग्रुप के कारण अन्दाजा हो गया कि यह अब ज्यादा दूर भी नहीं है। इतना तो निश्चित है कि वह ग्रुप मेरे रुकने के स्थान से आज नहीं गुजरा है।
दस बजे मैं लाखांग पहुंच गया। यह कोई गांव नहीं है। शिंगो-ला से कुछ पहले समुद्र तल से 4470 मीटर की ऊंचाई पर एक ढाबा है जहां रात रुक सकते हैं और खाना भी मिल जाता है। ढाबेवाले ने बताया कि तत्काल चाहिये तो मैगी मिलेगी तथा प्रतीक्षा कर सकते हैं तो रोटी मिल जायेगी। जब रोटी मिल रही है तो भला मैं मैगी क्यों खाने लगा? वह रोटी बनाने की तैयारी करने लगा और मैं रजाईयों के ढेर पर पडकर सो गया। आधे घण्टे बाद जब रोटी बन गई तो उसने ही मुझे जगाया।
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गोम्बोरंजन पर्वत के नीचे जहां मैं सोकर उठा था। |
यही लाखांग है। नीले-पीले तिरपाल दिख रहे हैं, वह दुकान है। |
इस पर लिखा है- SAVE: Shingo-La, Zanskar, Himalaya, India, Mother Earth. |
फ्यांग |
अब शिंगो-ला नजदीक है। |
इन्हीं दरारों से पता चलता है कि यह ग्लेशियर है। |
बर्फ के ऊपर कालान्तर में पत्थर आ जाते हैं जिससे बर्फ ढक जाती है। |
शिंगो-ला से लिया गया फोटो। बीच में गोम्बोरंजन पर्वत दिख रहा है जिसके नीचे मैं रात रुका था। |
शिंगो-ला 5000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित एक ऐसा दर्रा है जिसे पार करना आसान है। |
शिंगो-ला की झील |
लामाजी की जेसीबी मशीन रास्ता बनाती हुई |
शिंगो-ला की स्थिति। नक्शे को छोटा व बडा किया जा सकता है।
अगला भाग: शिंगो-ला से दिल्ली वापस
पदुम दारचा ट्रेक
1. जांस्कर यात्रा- दिल्ली से कारगिल
2. खूबसूरत सूरू घाटी
3. जांस्कर यात्रा- रांगडुम से अनमो
4. पदुम दारचा ट्रेक- अनमो से चा
5. फुकताल गोम्पा की ओर
6. अदभुत फुकताल गोम्पा
7. पदुम दारचा ट्रेक- पुरने से तेंगजे
8. पदुम दारचा ट्रेक- तेंगजे से करग्याक और गोम्बोरंजन
9. गोम्बोरंजन से शिंगो-ला पार
10. शिंगो-ला से दिल्ली वापस
11. जांस्कर यात्रा का कुल खर्च
रात का समय, सुनसान रास्ता और अकेलापन ऐसे में गधा भी भालू या तेंदुआ नज़र आ सकता है.!
ReplyDeleteखैर हमेशा की तरह शानदार फोटो, यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है.!
बहुत बढ़िया नीरज भाई..!
धन्यवाद पंवार साहब...
Deleteघुमक्कड़ी का शानदार नमूना। फोटोग्राफ्स हमेशा की तरह लाजवाब।
ReplyDeleteआपने ये तो बताया ही नहीं की रोटी कैसी थी। मोटी या पतली।
रोटी ठीक ही थी। कश्मीर जैसी पतली भी नहीं थी और आम लद्दाखी जैसी मोटी भी नहीं थी।
Deleteयार बडे साहसी व्यक्ति हो,अकेले ही निकल जातेहो.
ReplyDeleteहां त्यागी जी, ऐसे ही हैं हम तो...
Deleteyeh sab aap hi kar sakte ho bnai ham to aap ko dekh ke hi kush ho jaate hai
ReplyDeleteह्म्म्म्म. सही बात।
DeleteShingo la k baad himachal me apka swagat hai :)
ReplyDeleteधन्यवाद साहब जी...
Deleteबहुत बढ़िया नीरज भाई.
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी...
Deleteआप के साहसिक यात्रा और जानदार फोटो का कोई जबाब नहीं है।बाकी रेल्वे यात्रा के बाद भविष्य मे एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ने का प्लान भी रखिएगा ।
ReplyDeleteनहीं नहीं... एवरेस्ट का न कोई प्लान है और न ही कोई इच्छा।
Deleteबहुत बढ़िया नीरज भाई.
ReplyDeleteबहुत गजब। आपको यात्राओं के लिए शक्ति मिलती रहे, यही कामना है। संस्मरण कब लिखते हैं। वहीं यात्रा के दौरान कहीं ठहरने पर या यात्रा से लौटकर दिल्ली आकर, इतना बताने का कष्ट करेंगे, जिज्ञासा है।
ReplyDeleteविकेश जी नीरज जी यात्रा वृतांत दिल्ली आकर ही लिखते है..
Deleteनहीं, ठहरने के दौरान ताकत ही नहीं बचती कि संस्मरण लिखूं। हमेशा वापस दिल्ली आकर ही सबकुछ लिखता हूं।
Deleteजानदार फोटो नीरज भाई
ReplyDeleteधन्यवाद संजय भाई...
Deleteशानदार , रोमांचक यात्रा.... शानदार फोटो...
ReplyDeleteधन्यवाद गुप्ता जी...
Deleteमैंने याक शिमला और खज्जियार में देखे है वो बहुत गुस्से वाले होते है -- एक - बात जरूर है नीरज ,तुम साथियो के साथ ज्यादा कम्फर्ट महसूस करते हो की अकेले ,मेरे ख्याल से तो तुमको इस खूबसूरत जगह पर साथियो के साथ ही आना चाहिए
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