इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । तीन बजे मैं जैसलमेर पहुंचा। संजय बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहा था। वह नटवर का फेसबुक मित्र है। मुझसे पहचान तब हुई जब उसे पता चला कि नटवर और मैं साथ साथ यात्रा करेंगे। पिछले दिनों ही वह मेरा भी फेसबुक मित्र बना। उसने मेरा ब्लॉग नहीं पढा है, केवल फेसबुक पृष्ठ ही देखा है। मेरे हर फोटो को लाइक करता था। मैं कई दिनों तक बडा परेशान रहा जब जमकर लाइक के नॉटिफिकेशन आते रहे और सभी के लिये संजय ही जिम्मेदार था। मैं अक्सर लाइक को पसन्द नहीं करता हूं। ब्लॉग न पढने की वजह से उसे मेरे बारे में कुछ भी नहीं पता था। मेरा असली चरित्र मेरे ब्लॉग में है, फेसबुक पर नहीं। सवा पांच बजे यानी लगभग दो घण्टे बाद मेरी ट्रेन है। इन दो घण्टों में मैं जैसलमेर न तो घूम सकता था और न ही घूमना चाहता था। मेरी इच्छा कुछ खा-पीकर स्टेशन जाकर आराम करने की थी। फिर साइकिल भी पार्सल में बुक करानी थी।
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग