tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post8108017260220260512..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: डायरी के पन्ने- 12नीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-49007972223831543532013-09-08T17:27:00.242+05:302013-09-08T17:27:00.242+05:30मुंबई से डायरेक्ट ट्रेन है भाई शिर्डी के लिए ...मुंबई से डायरेक्ट ट्रेन है भाई शिर्डी के लिए ...दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-43749762481608674862013-09-08T17:24:29.144+05:302013-09-08T17:24:29.144+05:30माफ़ करे अजित जी , आप सिर्फ अपने लिए जीते हो, घूमत...माफ़ करे अजित जी , आप सिर्फ अपने लिए जीते हो, घूमते हो --- नीरज धुमक्कड़ी सिर्फ अपने लिए करता है और लेखन हम लोगो के लिए ----हम इतना धूम नहीं सकते है लेकिन नीरज हमको अपने साथ इन दुर्गम घाटियों में ले जाता है--पहाड़ो पर चढाता है --हम उसके साथ इस प्रकृति का मज़ा लेते है और ऐसा महसूस होता है जैसे हम अभी - अभी वापस आये है तरोताजा होकर ... दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-44775725268846267042013-09-08T12:48:50.117+05:302013-09-08T12:48:50.117+05:30डायरी बाईपास कर गया था सीधे यात्रा पर गया इसलिए वह...डायरी बाईपास कर गया था सीधे यात्रा पर गया इसलिए वहॉं टिप्पणी की सुविधा न होने से परेशान था...इसीलिए संदेश भ्सी भेजा अब मामला साफ हुआ। <br />दो बातें पहली तो आत्ममंथन अच्छी बात है करना चाहिए... एक लिहाज से परिपक्वता के इस स्तर के लिए आपको उस अनुभव तथा एकांत का ही आभारी होना चाहिए जो घुमक्कड़ी से मिलता है। <br />भाषा का शिक्षक हूँ... पाठकों को तमाशबीन समझना ज्यादती है...वे सही या गलत हो सकते हैं जैसे कोई भी किंतु पठन एक रचनात्मक काम है ठीक वैसे ही सर्जन (या घूमना) उसेा वैसे ही सम्मान करें जैसे आप दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि वे देशाटन का सम्मान करे। <br />जब मन हलका हो तो फैसले पर फिर विचार करें.... वैसे हर घुमक्कड़ बड़ी यात्रा के बाद एक शून्य महसूस करता है... आपको इस शून्य की बधाई। <br /> मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-23544829616993334482013-09-07T16:33:05.887+05:302013-09-07T16:33:05.887+05:30"नादान परिंदे ब्लॉगर" - हिंदी का एक नया ...<a href="http://naadanblogger.blogspot.in/" rel="nofollow">"नादान परिंदे ब्लॉगर" - हिंदी का एक नया ब्लॉग संकलक"</a>पर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराकर हमे इसे सफल ब्लॉगर बनाने में हमारी मदद करें। अपने ब्लॉग को जोड़ें एवं अपने सुझाव हमे बताएं Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15819570976781995090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-51744856595325470412013-09-05T16:53:41.256+05:302013-09-05T16:53:41.256+05:30mere nanhey munhey raj dularey, ab maan bhi jao py...mere nanhey munhey raj dularey, ab maan bhi jao pyare, <br />choro bhi gussa, aur likh do agla bhag o dularey,<br />hum kab se baithey hai .........................<br />................................................<br /><br />(aage aap ki agli post publish honey par)<br /><br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-91236431358491128362013-09-05T11:18:02.987+05:302013-09-05T11:18:02.987+05:30धत नीरज भाई , ये छोटी मोटी बातो के लिए कोई टाइम मत...धत नीरज भाई , ये छोटी मोटी बातो के लिए कोई टाइम मत निकालो आप !<br />कोई कुछ भी कहे अपने को वोही करने का जो दिल करे !<br />.<br />.<br />.<br /> यार सच कहने की हिम्मत होनी चाहिए,<br />.<br />बहोत आदमी कहते कुछ और है करते कुछ और , आप जो करते हो वही लिखते हो !<br />amanvaishnavihttps://www.blogger.com/profile/04526620740401350882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-2713711845626798442013-09-04T19:27:30.816+05:302013-09-04T19:27:30.816+05:30नीरज भाई ...आपकी हताशा का कारण मुझे समझ में आता है...नीरज भाई ...आपकी हताशा का कारण मुझे समझ में आता है .......एक तो आपके टूर बड़े थकाऊ होते हैं .....अंग्रेजों और हिन्दुस्तानियों की घुमक्कड़ी का ये मूल अंतर है ..........हिन्दुस्तानी घूमने जाता है है तो थका हारा टूटा हुआ वापस आता है .....अँगरेज़ घूमने जाता है तो थकावट दूर करके तारो ताज़ा हो के वापस आता है .........आपकी थकावट का दूसरा कारण .....घूमने के बाद उसे तुरंत लिखने छापने का दबाव .........आपको सिर्फ fatigue हुई है .....इसका एक ही उपाय है ........कुछ दिन आराम करो .......हम दोनों मियाँ बीवी को जब आराम करना होता है तो हम लोग मसूरी या lansdowne चले जाते हैं ....वहाँ camel back रोड पे हमारा एक पसंदीदा होटल है .....एकदम सुनसान रोड पे ( ऑफ सीजन में ) टहलना ...और सारा दिन होटल की बालकनी में बैठ के चाय पीना . गप्पे मारनी ...............शाम को एक घंटा बाज़ार में ....और ली शेफ के मोमो ..........वाह .........<br /> या फिर lansdowne में बाहर कुर्सियां डाल के........... सारा दिन फ्रूट चाट बना बना के खाना ........कोई हाय तोबा नहीं .......और अपनी घुमक्कड़ी और लेखन अपने मज़े के लिए ....दूसरों को खुश करने के लिए नहीं .....जो दूसरों को खुश करने की कोशिश करता है वो फुटबाल बन जाता है ....इसलिए मस्त रहो ........घुमते रहो ....लिखते रहो .......Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-75120868434627693592013-09-04T19:27:14.323+05:302013-09-04T19:27:14.323+05:30बाकी आपकी जालंधर सुल्तानपुर अमृतसर पठानकोट यात्रा ...बाकी आपकी जालंधर सुल्तानपुर अमृतसर पठानकोट यात्रा due है .....जल्दी मिलते हैं ......Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-62043169493027765722013-09-04T19:27:01.617+05:302013-09-04T19:27:01.617+05:30चलते चलते एक बात और याद आ गयी ......अपने बनारस में...चलते चलते एक बात और याद आ गयी ......अपने बनारस में कहते हैं की गालियाँ तो शिव जी का प्रसाद होती हैं ..........गालियों के बिना जीवन कितना नीरस ....सूना सूना सा लगेगा .........दो जिगरी दोस्त मिलते हैं तो कैसे एक दूजे को गालिया बकते हैं .........मैं तो कई बार जान बूझ के ऐसे स्टेटस और कमेंट डालता हूँ फेसबुक पे की लोग गालिया दें ..........और फिर जब वो गरियाते हैं तो बड़ा मज़ा आता है .......न गरियाएं तो निराशा होती है ........अगर आप सही काम कर रहे है और लोग आपको गाली दें तो समझ लीजिये आप वाकई सही काम कर रहे हैं ........गालियों और आलोचना से कभी मत डरो .........Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-6224284388931842682013-09-04T19:25:53.219+05:302013-09-04T19:25:53.219+05:30चलते चलते एक बात और याद आ गयी ......अपने बनारस में...चलते चलते एक बात और याद आ गयी ......अपने बनारस में कहते हैं की गालियाँ तो शिव जी का प्रसाद होती हैं ..........गालियों के बिना जीवन कितना नीरस ....सूना सूना सा लगेगा .........दो जिगरी दोस्त मिलते हैं तो कैसे एक दूजे को गालिया बकते हैं .........मैं तो कई बार जान बूझ के ऐसे स्टेटस और कमेंट डालता हूँ फेसबुक पे की लोग गालिया दें ..........और फिर जब वो गरियाते हैं तो बड़ा मज़ा आता है .......न गरियाएं तो निराशा होती है ........अगर आप सही काम कर रहे है और लोग आपको गाली दें तो समझ लीजिये आप वाकई सही काम कर रहे हैं ........गालियों और आलोचना से कभी मत डरो .........Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-4079270138933699652013-09-04T19:11:18.055+05:302013-09-04T19:11:18.055+05:30बाकी आपकी जालंधर सुल्तानपुर अमृतसर पठानकोट यात्रा ...बाकी आपकी जालंधर सुल्तानपुर अमृतसर पठानकोट यात्रा due है .....जल्दी मिलते हैं ......Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-56182472668077940722013-09-04T19:07:48.654+05:302013-09-04T19:07:48.654+05:30नीरज भाई ...आपकी हताशा का कारण मुझे समझ में आता है...नीरज भाई ...आपकी हताशा का कारण मुझे समझ में आता है .......एक तो आपके टूर बड़े थकाऊ होते हैं .....अंग्रेजों और हिन्दुस्तानियों की घुमक्कड़ी का ये मूल अंतर है ..........हिन्दुस्तानी घूमने जाता है है तो थका हारा टूटा हुआ वापस आता है .....अँगरेज़ घूमने जाता है तो थकावट दूर करके तारो ताज़ा हो के वापस आता है .........आपकी थकावट का दूसरा कारण .....घूमने के बाद उसे तुरंत लिखने छापने का दबाव .........आपको सिर्फ fatigue हुई है .....इसका एक ही उपाय है ........कुछ दिन आराम करो .......हम दोनों मियाँ बीवी को जब आराम करना होता है तो हम लोग मसूरी या lansdowne चले जाते हैं ....वहाँ camel back रोड पे हमारा एक पसंदीदा होटल है .....एकदम सुनसान रोड पे ( ऑफ सीजन में ) टहलना ...और सारा दिन होटल की बालकनी में बैठ के चाय पीना . गप्पे मारनी ...............शाम को एक घंटा बाज़ार में ....और ली शेफ के मोमो ..........वाह .........<br /> या फिर lansdowne में बाहर कुर्सियां डाल के........... सारा दिन फ्रूट चाट बना बना के खाना ........कोई हाय तोबा नहीं .......और अपनी घुमक्कड़ी और लेखन अपने मज़े के लिए ....दूसरों को खुश करने के लिए नहीं .....जो दूसरों को खुश करने की कोशिश करता है वो फुटबाल बन जाता है ....इसलिए मस्त रहो ........घुमते रहो ....लिखते रहो .......Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-80530337763386514772013-09-04T17:38:27.646+05:302013-09-04T17:38:27.646+05:30why remove this???????????????????????????????????...why remove this???????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-76176561649971675822013-09-03T22:26:30.493+05:302013-09-03T22:26:30.493+05:30नीरज भाई आपकी यह पोस्ट दिल को छु गयी
अपने आप को त...नीरज भाई आपकी यह पोस्ट दिल को छु गयी <br />अपने आप को तमाशाबाज़ बिलकुल न समझे , आप यहाँ सब के लिए एक प्रेरणा है <br />यह सब आप को खुश करने या मक्खन लगाने के लियें नहीं है, यह कमेंट दिल से निकला है. <br /><br />आपको जो सुकून दे वही करे, आपको ढेरों शुभकामनाये Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-62563424551440588612013-09-03T13:41:53.905+05:302013-09-03T13:41:53.905+05:30Harper Collins, Penguin, Rupa, Westland hindi me k...Harper Collins, Penguin, Rupa, Westland hindi me kitab prakashit karte hai, aur aap apni lekhni jari rakhiye Neerajjiamitgodahttps://www.blogger.com/profile/02786421830467128425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-54536192973346501912013-09-03T13:39:42.635+05:302013-09-03T13:39:42.635+05:30This comment has been removed by the author.amitgodahttps://www.blogger.com/profile/02786421830467128425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-11691723734558430292013-09-03T00:07:15.204+05:302013-09-03T00:07:15.204+05:30अरे बंधू क्यूँ परेशान हो रहे हो.... आपके चाहने वाल...अरे बंधू क्यूँ परेशान हो रहे हो.... आपके चाहने वाले सब जगह हैं.... और ब्लॉग लिखते रहिये... किताबों का ज़माना गया... गाँठ से पैसे लगाके छपवानी पड़ेगी अगर अच्छी छपवानी है तो, फिर प्रचार भी खुद को ही करना पड़ेगा.... यहाँ आपके चाहने वाले बढ़ेंगे ही दिन बा दिन, घटेंगे नहीं....Yogesh Sinsinwarhttps://www.blogger.com/profile/11989397830161944763noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-68007329432530088652013-09-02T22:28:52.794+05:302013-09-02T22:28:52.794+05:30नीरज जी,
कुछ दिन पहले ही आपके चिट्ठे के बारे में ...नीरज जी,<br /><br />कुछ दिन पहले ही आपके चिट्ठे के बारे में पता चला, प्रवीण पाण्डेय जी के चिट्ठे पर। आज पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। आप मेरे जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अगर आप अंग्रेजी में लिखते तो अभी तक आपका चिटठा एक Cult बन चुका होता। ऐसा नहीं कि हिंदी में कम लोकप्रिय है मगर अंग्रेजी के पाठक पूरे विश्व की जनता है। खैर जैसे अंग्रेजी में कहा जाता है "English's loss is Hindi's gain". <br /><br /><br />आपको फीडली पर तो जोड़ ही चुका हूँ सो आगे संपर्क रहेगा। टिपण्णी न कर पाऊं को क्षमा करियेगा मगर मैं निरंतर आपका चिटठा पढता रहूँगा। <br /><br />लिखते रहिये और प्रेरित करते रहिये!<br />सौरभ स https://www.blogger.com/profile/03027465386856609299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-83752957244343762062013-09-02T18:07:50.907+05:302013-09-02T18:07:50.907+05:30The Immortals of Meluha मेरी लाईफ की पहली अंग्रेजी...The Immortals of Meluha मेरी लाईफ की पहली अंग्रेजी में पढी नावल है। रोमाचंक लगी मुझे तो।<br />जैसे सावन में दूध पीना सही नहीं माना जाता था ऐसे ही शायद भादौ के महिने में दही खाना स्वास्थय के लिये श्रेयस्कर ना होता हो।<br />अमृतसर यात्रा अभी नहीं करना चाहते तो फिर कभी, लेकिन अजीत सिंह जी से मिलना कैंसिल मत करना।<br />भाई हम लोग आपको पढते-पढते आपसे इस कदर जुड जाते हैं कि हमें लगता है कि आप तो हमारे अपने हैं, इसलिये हम पाठक आपकी प्रशंसा, आलोचना, शिकायतें आदि अपने-अपने मतानुसार कर देते हैं। इन्हें दिल पर मत लिया करो। हम पाठक यहां गालियां तक कह के भूल जाते हैं, आप भी भूल जाया करो।<br />कुछ दिन नेट से दूर रहना अच्छा आईडिया है।<br />टिप्पणी आदि के बारे में आप जो भी फैसला करेंगे, सही ही करेंगे।<br />यही हो रहा है लेखकों को खुद पैसे देकर पुस्तकें छपवानी पड रही हैं, आजकल<br />आपके लेखों में यात्रा विवरण शैली उम्दा और रोचक है। आपको कोई अच्छा प्रकाशक जरुर मिलेगा, जो अपने खर्चे से आपकी पुस्तकें छाप दे।<br />ऐसी शुभकामनाओं के साथ<br />प्रणाम स्वीकार करें <br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />अन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-3353977120697043592013-09-02T15:05:52.641+05:302013-09-02T15:05:52.641+05:30नीरज भाई आप एक घुमक्कड मिजाज के व्यक्ति है।आप तो स...नीरज भाई आप एक घुमक्कड मिजाज के व्यक्ति है।आप तो सभी तरह की परिस्थतियो मे घुलमिल जाने वाले इन्सान है। फिर आप कुछ लोगो की करी गई टिप्पनीयो से अपने आप को नकारत्मक मत होने दो ।यदि आप ऊर्जावान रहगे तो सभी तरह की लोगो द्धारा की गई बातो से आप विचलित नही होगे।ओर हाँ एक बात कप्या टिप्पणी नही हटाय़ेगा।टिप्पणी करने के बाद ओर यदि आपका वापसी जबाब मिलने के बाद हम अपने आप को आप से जुडा समझते है।Sachin tyagihttps://www.blogger.com/profile/05026492634418980571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-45916459347609085562013-09-02T07:20:28.268+05:302013-09-02T07:20:28.268+05:30नीरज जी, लद्दाख यात्रा पर पुस्तक प्रकाशित करना अच्...नीरज जी, लद्दाख यात्रा पर पुस्तक प्रकाशित करना अच्छा विचार है... लेकिन टिप्पणियाँ बंद करने का विचार उत्तम नहीं है...Pryashttp://pryas.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-81525823154864212112013-09-02T02:47:56.502+05:302013-09-02T02:47:56.502+05:30छोटे भाई क्यो परेशान हो रहे हो लोगो की परवाह मत कर...छोटे भाई क्यो परेशान हो रहे हो लोगो की परवाह मत करो क्या कहते है क्या करते है कुछ लोग (कुछ लोग बोला है सब नही क्योकि सब मे तो मे भी हूँ ) टिप्पणी लिखने से पहले दिमाग का प्रयोग नही करते जो मरजी लिख दिया किसी को अच्छा लगे या बुरा उन्हे कोई मतलब नही। <br />और अपनी ढाढी इन अखबार वालो के हाथ मे ना थमाओ तो अच्छा है अपने ब्लाँग पर ही लिखो इनके ब्लाँग पर क्यो लिखना। अगर साक्षातकार ले तो बात ठीक है (बिगेर मांगे सलहा दे रहा हूँ बुरा ना मानना) <br /><br />और रही बात किसी भी काम मे मन नही लग रहा है तो आजकल दिन ही नकारात्मक से चल रहे है अपना भी ऐसा ही हाल है। बस दफ्तर जाओ और आकर सो जाओ मै भी तुम्हारी तरह सोने मे पक्का हूँ। चलो अब मै भी सो जाता हूँ रात बहुत हो चुकी है।Ajay Kumarhttps://www.blogger.com/profile/14034543539585692700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-35971530122047551132013-09-02T02:47:43.332+05:302013-09-02T02:47:43.332+05:30छोटे भाई क्यो परेशान हो रहे हो लोगो की परवाह मत कर...छोटे भाई क्यो परेशान हो रहे हो लोगो की परवाह मत करो क्या कहते है क्या करते है कुछ लोग (कुछ लोग बोला है सब नही क्योकि सब मे तो मे भी हूँ ) टिप्पणी लिखने से पहले दिमाग का प्रयोग नही करते जो मरजी लिख दिया किसी को अच्छा लगे या बुरा उन्हे कोई मतलब नही। <br />और अपनी ढाढी इन अखबार वालो के हाथ मे ना थमाओ तो अच्छा है अपने ब्लाँग पर ही लिखो इनके ब्लाँग पर क्यो लिखना। अगर साक्षातकार ले तो बात ठीक है (बिगेर मांगे सलहा दे रहा हूँ बुरा ना मानना) <br /><br />और रही बात किसी भी काम मे मन नही लग रहा है तो आजकल दिन ही नकारात्मक से चल रहे है अपना भी ऐसा ही हाल है। बस दफ्तर जाओ और आकर सो जाओ मै भी तुम्हारी तरह सोने मे पक्का हूँ। चलो अब मै भी सो जाता हूँ रात बहुत हो चुकी है।Ajay Kumarhttps://www.blogger.com/profile/14034543539585692700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-28246924483320281972013-09-01T22:58:30.164+05:302013-09-01T22:58:30.164+05:30Hi Neeraj;
I am one of those uncountable persons w...Hi Neeraj;<br />I am one of those uncountable persons who have been coming to your blog for last 5 years. I come to your blog to get rejuvenated, and to get inspired. I work for a top IT company, and I hate the job, it really sucks me, and then I come to your blog and feel like living again.<br />One more thing, be wary of people who show too much affection, affection and dislike are sides of same coin.<br />When somebody asked Renuji, what makes you write? Renuji replied it is for “Swantah Sukhaya”. Keep traveling, keep writing. We see world from your eyes. <br />Take care.<br />Subhash<br />Subhash Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/00020779744329379391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-10808426316018006372013-09-01T21:22:03.923+05:302013-09-01T21:22:03.923+05:30हम ब्लाग पर आपके हमसफर हैं, रहेंगे.हम ब्लाग पर आपके हमसफर हैं, रहेंगे.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com