tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post6255321129004151023..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: जनवरी में स्पीति: काजा से दिल्ली वापसनीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-91557452923921737072018-08-31T12:17:27.946+05:302018-08-31T12:17:27.946+05:30सर बिहार का नाम लेने में डर क्यो लगता है????सर बिहार का नाम लेने में डर क्यो लगता है????धर्मेन्द्र कुमार कुशवाहाhttps://www.blogger.com/profile/15943884605890318253noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-76774412017185089852016-06-15T05:21:58.746+05:302016-06-15T05:21:58.746+05:30IntrestingIntrestingJavedhttps://www.blogger.com/profile/04979700548417658946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-90539123886500965162016-04-16T16:05:01.034+05:302016-04-16T16:05:01.034+05:30raste bade khatrnak hey.......one way hey na ...ne...raste bade khatrnak hey.......one way hey na ...neeraj bhai ....???<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14794655515018314205noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-57738849709502331852016-04-11T00:36:55.563+05:302016-04-11T00:36:55.563+05:30सुन्दर और जीवंत वृत्तांत।
अद्भुत और अद्वितीय भारत।...सुन्दर और जीवंत वृत्तांत।<br />अद्भुत और अद्वितीय भारत।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07193754447472514891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-64153187238771819102016-04-08T23:21:43.477+05:302016-04-08T23:21:43.477+05:30Last 2 posts, maine kai baar padi. dil khush ho ga...Last 2 posts, maine kai baar padi. dil khush ho gaya, par jab series khatam hoti toh thodi nirasha bhi hoti hai :-)<br /><br />Aapka and doctor sahab ka bahut bahut shukriya. Main humesha kehta hoon aapke saath koi trip karni kabhi, ab aisa lag raha hai, kabhi aapke and doctor sahab ke saath koi trip karni hai :-)<br /><br />Hopefully, we will meet someday :-)<br />thanks once again, good luck for next trip.<br />Stonehttps://www.blogger.com/profile/16053118951693455094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-22442093629743722572016-04-07T11:18:27.869+05:302016-04-07T11:18:27.869+05:30"लेकिन असली घुमक्कड वही है जो रात कुछ इरादा ब..."लेकिन असली घुमक्कड वही है जो रात कुछ इरादा बनाये और सुबह उससे मुकर जाये "<br />अब आहिस्ता आहिस्ता सीखेंगे भाई.... और एक हम हैं पिलान पलटते ही मायूस हो जाते हैं, खिजने लगते हैं... कमरा वाकई ५००/- में शानदार है.. और डाक्टर साहब का बदला लेना बनता था .. कमरा ढूँढ़ते हुए झटका देने वाला ;) शानदार चित्र..<br />कई बार शक होता है जितना तुम लोग यहाँ के रास्तों के बारे में बारीकी से आसानी से वाकिफ हो यहाँ के लोकल भी हैं या नहीं :) <br />शानदार फोटू...<br /><br />और खिचड़ी तो खानी पड़ेगी किसी दिन कई जगह चर्चा सुन चुके खिचड़ी की संजय कौशिकhttps://www.blogger.com/profile/15605480008187029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-69152788272669295112016-04-06T16:09:37.322+05:302016-04-06T16:09:37.322+05:30pyare neeraj jat aapne to hamme kaza aur kibber ka...pyare neeraj jat aapne to hamme kaza aur kibber ka darshan karwa diye, bahut khushi mili.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02477192121302246264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-34101591858311192792016-04-05T15:27:57.186+05:302016-04-05T15:27:57.186+05:30नीरज जी और सुमित जी आप दोनों की यात्रा बहुत रोमांच...नीरज जी और सुमित जी आप दोनों की यात्रा बहुत रोमांचक और अच्छी रही | <br /><br />आलू के परांठे ही जो पहाड़ो पर आसानी उपलब्ध हो जाते है... | <br /><br />सब कुल मिलाकर बढ़िया Ritesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/08778571076761815036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-46437292142454209002016-04-05T12:25:01.055+05:302016-04-05T12:25:01.055+05:30बहुत खूबसूरत। सब कुछ साफ़-साफ़, कोई झोल नहीं। बढ़िया।...बहुत खूबसूरत। सब कुछ साफ़-साफ़, कोई झोल नहीं। बढ़िया।रमता जोगीhttps://www.blogger.com/profile/16106000791426439119noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-60238930047474451182016-04-05T09:05:58.143+05:302016-04-05T09:05:58.143+05:30वाह नीरजजी! बहुत बढिया! कितना जीवन्त निवेदन! और आप...वाह नीरजजी! बहुत बढिया! कितना जीवन्त निवेदन! और आपने फोटू भी बेहद सुन्दर दिए, थोड़ा हंसाया भी! :)Niranjan Welankarhttps://www.blogger.com/profile/04963051885950200950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-68392181685903478072016-04-05T01:34:41.833+05:302016-04-05T01:34:41.833+05:30रोमांचक फोटो एक से बढ़कर एक लाजवाब, उतना ही दमदार ...रोमांचक फोटो एक से बढ़कर एक लाजवाब, उतना ही दमदार लेखन।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09983719126297076828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-22556197738011708182016-04-04T19:38:38.467+05:302016-04-04T19:38:38.467+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-04-2016) को <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> "जय बोल, कुण्डा खोल" (चर्चा अंक-2303) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-57159213189687596572016-04-04T13:55:43.872+05:302016-04-04T13:55:43.872+05:30यह है वो स्थान जहां वर्तमान में मुलिंग नाला पार कि...यह है वो स्थान जहां वर्तमान में मुलिंग नाला पार किया जाता है। यहां चट्टानी पहाड है जबकि पुरानी सडक मिट्टी वाले इलाके से गुजरती थी। हालांकि नाला अभी भी वही है लेकिन चट्टानी पहाड होने के कारण रास्ते में टूट-फूट नहीं होती। जबकि नीचे मिट्टी ज्यादा होने के कारण रास्ता बन ही नहीं पाता था और कीचड से इसे पार करना पडता था। कई बार तो ट्रक भी बह जाया करते थे इस नाले में। ये कैप्शन वाला फोटो बहुत ही अलग और बहुत शानदार है नीरज भाई ! प्रकृति , किसी चित्रकार से बढ़िया तस्वीर बना देती है ! आपने सांगला के जो फोटो दिए हैं उनमें कस्बे में सड़क पर कहीं भी बर्फ नहीं दिख रही है , फिर भी क्यों लोग पहले से ही रिवालसर भाग जाते है !!Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-62591565778955172712016-04-04T09:50:38.721+05:302016-04-04T09:50:38.721+05:30This comment has been removed by the author.Sachin tyagihttps://www.blogger.com/profile/05026492634418980571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-6960119132590668692016-04-04T09:47:56.598+05:302016-04-04T09:47:56.598+05:30नीरज व सुमित दोनो की यह यात्रा बहुत अच्छी रही, हम ...नीरज व सुमित दोनो की यह यात्रा बहुत अच्छी रही, हम लोगो को भी आपके ब्लॉग के माध्यम से बहुत कुछ देखने व पढने को मिला।Sachin tyagihttps://www.blogger.com/profile/05026492634418980571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-72352313906002806282016-04-04T07:47:18.829+05:302016-04-04T07:47:18.829+05:30काजा में अंतिम रात बहुत सर्द थी।
वहाँ मिले भोजन की...काजा में अंतिम रात बहुत सर्द थी।<br />वहाँ मिले भोजन की जितनी तारीफ़ की जाय वो कम है।<br />वो अनजान घुमक्कड़ एक प्रतिभाशाली फोटोग्राफर था।<br /><br />काजा से सुबह रिकोंग की बस में सफ़र हिंदी भजनों और आरतियो ने भक्तिमय बना दिया,घोर प्राकृतिक वातावरण में मेरी प्रिय,जय जगदीश हरे आरती को बस में बज रहे टेप के साथ गुनगुनाना आनंददायक रहा।<br />रास्ते भर, में भावुकता से घाटी को निहारता रहा,अब इन्हें अलविदा कहना था,ये सफ़र दिल्ली वापसी के लिए था।<br /><br />सांगला पहुँचे वहाँ वाकई वीरान था,सभी होटलों में ताले लगे थे,लेकिन बास्पा गेस्ट हॉउस में ठीकाना मिल ही गया,यहाँ मिला कमरा शानदार था।<br /><br />सांगला से दिल्ली वापसी में आप का प्रबंधन बढ़िया रहा,हम 1 दिन पहले ही दिल्ली पहुँच गये।<br />मेरी इंदौर वापसी की टिकिट 1 दिन बाद की थी,नई टिकीट बुक करने की ज़िम्मेवारी आपकी थी,उसे आपने पूरा भी किया।<br /><br />इंदौर वापसी की यात्रा से पहले आपके द्वारा बनाई गई विलक्षण खिचड़ी का स्वाद इतना लज़ीज़ था कि खाते ही रह गए...<br />इस चक्कर में नई दिल्ली स्टेशन देर से पंहुचा और भागते दौड़ते ट्रेन में लटकना पड़ा।<br /><br />इन सब के बाद आप से विदाई भी लेनी थी,पिछले 9 दिनों से हम साथ थे,तो बस आदत सी गई थी,एक दूसरे क़ी... <br />ना चाहते हुवे भी भावुकता हो रही थी..<br />ऐसे मे,में चुप हो जाता हु,और यही हुवा,आपके घर से शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन की 5 मिनीट की पैदल यात्रा में चुपचाप चलता रहा...<br />और <br />कह दिया...<br />अलविदा...<br />फिर मिलेंगे।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00558987441220716238noreply@blogger.com