tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post5450345301372974284..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: लद्दाख बाइक यात्रा- 10 (शिरशिरला-खालसी)नीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-23150185271775065402017-09-16T12:10:51.898+05:302017-09-16T12:10:51.898+05:30इसके अतरिक्त पहाड़ पर गाडी चलने का एक नियम है जिस ग...इसके अतरिक्त पहाड़ पर गाडी चलने का एक नियम है जिस गियर पर उपर जाते हो उसी पर नीचे आना चहिये ऐसा मेने नाथुला में सीखा थाकैलाश बहुगुणाhttps://www.blogger.com/profile/17722480237925224309noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-77774676732323122652015-10-02T01:27:38.388+05:302015-10-02T01:27:38.388+05:30ऐसा क्यों लगता है जैसे चित्र न होकर किसी चित्रकार ...ऐसा क्यों लगता है जैसे चित्र न होकर किसी चित्रकार की पेंटिंग हो ।<br />लद्धाख अपनी इन्ही विशेषताओ के कारण फेमस है । आज केफोटु तो कयामत है<br /><br />दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-2671879518028445022015-09-20T22:41:48.657+05:302015-09-20T22:41:48.657+05:30धन्यवाद सर जी...धन्यवाद सर जी...नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-79448622681347537012015-09-20T19:46:30.720+05:302015-09-20T19:46:30.720+05:30इसके अतिरिक्त सामान्यत: दर्रे उस ऊंचाई पर होते ह...इसके अतिरिक्त सामान्यत: दर्रे उस ऊंचाई पर होते हैं कि आक्सीजन की मात्रा मैदान की तुलना में कम होती है...शरीर को हवा ठंडक के लिए नहीं आक्सीजन के लिए ही चाहिए होती है :) अत: उतनी ही आक्सीजन के लिए ज्यादा मात्रा में हवा अंदर लेनी पड़ेगी..शनि फेफडा़ें को आवरटाईम करना पड़ेगा इसे सांस फूलना कहा जाएगा। मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-39602389923231774902015-09-20T15:37:46.200+05:302015-09-20T15:37:46.200+05:30Congratulations for the first biker at tis la Congratulations for the first biker at tis la Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15962413995459735754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-51451381679618225952015-08-03T12:24:52.518+05:302015-08-03T12:24:52.518+05:30धन्यवाद सर जी...धन्यवाद सर जी...नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-18937754285225811412015-08-03T12:23:57.499+05:302015-08-03T12:23:57.499+05:30बिल्कुल भाई... लद्दाख और तिब्बत भौगिलिक रूप से एक ...बिल्कुल भाई... लद्दाख और तिब्बत भौगिलिक रूप से एक जैसे हैं, इसलिये इन्हीं स्थानों पर दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे स्थित हैं।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-4963763543100616692015-08-02T21:54:04.198+05:302015-08-02T21:54:04.198+05:30पर्यटन मे ले जाने वालों सामानो की बचाव के लिए बाइक...पर्यटन मे ले जाने वालों सामानो की बचाव के लिए बाइक मे साइड बॉक्स लगवा ले और होटल छोड़ने से पहले अपने लाये गए सामानो को चेक करके निकले ।इसमे केवल एक दो मिनेट एक्सट्रा लगेगा। VIMLESH CHANDRA - RAILWAY WRITERhttps://www.blogger.com/profile/05169901862711497657noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-47675811203671073232015-08-02T21:30:49.343+05:302015-08-02T21:30:49.343+05:30नई दुनिया व नई जगह से रूबरू होने का अहसास सा हो रह...नई दुनिया व नई जगह से रूबरू होने का अहसास सा हो रहा है। वैसे दुनिया मे शायद लद्दाख मे ही सबसे ज्यादा व ऊंचे दर्रे होगे।Sachin tyagihttps://www.blogger.com/profile/05026492634418980571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-75320888473883535652015-08-02T11:40:21.959+05:302015-08-02T11:40:21.959+05:30धन्यवाद राहुल जी, बाइक ही हालत खराब तो हो ही गई थी...धन्यवाद राहुल जी, बाइक ही हालत खराब तो हो ही गई थी। आते ही सर्विस कराई लेकिन अभी तक भी पूरी ठीक नहीं हुई।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-10894884968016048222015-08-02T11:37:11.799+05:302015-08-02T11:37:11.799+05:30विशाल जी, सांस लेते वक्त हम हवा ही लेते हैं। बाद म...विशाल जी, सांस लेते वक्त हम हवा ही लेते हैं। बाद में फेफडे ऑक्सीजन सोख लेते हैं। ऊंचाई पर हवा का घनत्व कम होता जाता है, इसलिये ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य सभी गैसें भी कम होती जाती हैं।<br />धन्यवाद आपका।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-33419665604784296302015-08-02T11:35:12.006+05:302015-08-02T11:35:12.006+05:30धन्यवाद मुकेश जी... लद्दाख है ही ऐसी जगह कि कहां क...धन्यवाद मुकेश जी... लद्दाख है ही ऐसी जगह कि कहां कैसा नजारा मिल जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-29401556064371607832015-08-02T11:32:20.021+05:302015-08-02T11:32:20.021+05:30गुरपाल जी, कोठारी साहब श्रीनगर में छूट गये थे। अब ...गुरपाल जी, कोठारी साहब श्रीनगर में छूट गये थे। अब (खालसी तक) वे कहां हैं, हमें भी नहीं पता। जैसे ही पता चलेगा, हम बता देंगे। इतना संस्पेंस तो होना भी चाहिये।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-73957277082498568802015-08-02T09:53:23.615+05:302015-08-02T09:53:23.615+05:30नीरज भाई 17वीं तस्वीर का तो कोई जवाब नहीं। देखते ह...नीरज भाई 17वीं तस्वीर का तो कोई जवाब नहीं। देखते ही ख्याल आया की तस्वीर है या पेंटिंग। लाजवाब।<br />ऐसे रास्तो पर गाड़ी की हालत खस्ता हो जाती है वापसी के बाद काम भी करवाना पड़ा होगा! आखिर में जब हिसाब किताब वाली पोस्ट लिखेंगे तो उसमे इसका भी ब्योरा रखने की गुजारिश है आपसे। Rahul Goswamihttps://www.blogger.com/profile/08052091883779912611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-28544992558596430182015-08-02T09:27:12.679+05:302015-08-02T09:27:12.679+05:30कमाल का वृतांत लिखा है एक बार पढ़ने बैठो तो फिर हटन...कमाल का वृतांत लिखा है एक बार पढ़ने बैठो तो फिर हटने का मन ही नहीं करता।<br />ऊंचाई पर तेज हवा चलने के कारण भी हमें सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है।<br />दिक्कत इस लिए होती है क्योंकि साँस लेते वक्त हम हवा नहीं लेते हवा में मिश्रित ऑक्सीजन लेते है और जैसे जैसे हम ऊंचाई पर जाते जाते है हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है। ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन के कारन ही थोडा सा कार्य करते ही हमें जल्दी सांस चढ़ जाती है।Mr. Vishalhttps://www.blogger.com/profile/08777013429638986072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-84569208209206450312015-08-02T09:25:46.019+05:302015-08-02T09:25:46.019+05:30कमाल का वृतांत लिखा है एक बार पढ़ने बैठो तो फिर हटन...कमाल का वृतांत लिखा है एक बार पढ़ने बैठो तो फिर हटने का मन ही नहीं करता।<br />ऊंचाई पर तेज हवा चलने के कारण भी हमें सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है।<br />दिक्कत इस लिए होती है क्योंकि साँस लेते वक्त हम हवा नहीं लेते हवा में मिश्रित ऑक्सीजन लेते है और जैसे जैसे हम ऊंचाई पर जाते जाते है हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है। ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन के कारन ही थोडा सा कार्य करते ही हमें जल्दी सांस चढ़ जाती है।Mr. Vishalhttps://www.blogger.com/profile/08777013429638986072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-62359387894125988922015-08-01T15:41:26.011+05:302015-08-01T15:41:26.011+05:30वाह! इतने सुंदर चित्र मैने कभी नहीं देखे. लद्दाख क...वाह! इतने सुंदर चित्र मैने कभी नहीं देखे. लद्दाख के पहाड़ तो कुछ अलग ही तरह के दिखाई देते हैं. तीखे तीखे रंग बिरंगे पहाड़. कुछ फोटोज़ तो ऐसे लग रहे हैं जैसे किसी मशहूर चित्रकार की पैंटिंग हो. उपर से 3,4,6,11,12,12,13,14,17 और 18 नंबर के चित्र नेशनल जियोग्राफ़िक चैनल की टक्कर के हैं. उनमें से भी 13 और 17 नंबर के चित्र तो करिश्माई हैं. आज के चित्र देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूँ. राकेश सैनी जी ने सही कहा है, आपने जीते जी स्वर्ग देख लिया. आप महान हो नीरज जी.... <br /><br />जिन पाठकों ने आज की पोस्ट के चित्रों पर जल्दबाज़ी में ध्यान नहीं दिया हो उनसे गुज़ारिश है की जिन चित्रों के मैनें उपर नंबर लिखे हैं उन्हें एक बार और गौर से देखें, शायद ऐसे चित्र आपलोगों ने भी कभी नहीं देखे होंगे. Mukesh Bhalsehttps://www.blogger.com/profile/01667464799709628702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-85367758957816791842015-08-01T11:02:10.831+05:302015-08-01T11:02:10.831+05:30Neeraj g Kothari Sahab kahan reh gaye..? Unke baa...Neeraj g Kothari Sahab kahan reh gaye..? Unke baare apne nahi bataya...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01353795650345670766noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-11429858239497161562015-07-31T21:13:18.597+05:302015-07-31T21:13:18.597+05:30'थुपका' के बारे में पिछ्ले हिमा च ल वाले घ...'थुपका' के बारे में पिछ्ले हिमा च ल वाले घुम क्क्डी में प ढा था ... 'थुपका' का एक फोटो हो तो ज रुर डालिए ... प्लिज ... <br />------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------<br />नमकीन चाय --- वही ... जो पुरी कश्मीर में पी जा ती है.... मैने अमरनाथ यात्रा (२०१२) के दौरान 'कुद' में उसका चस्का लिया है .... बिल्कुल अच्छा स्वाद नही था ... ड्रायव्हर ने ( जो श्रीनगर का था ) म ना किया था ... लेकीन में नही माना ....विजयकुमार भवारी https://www.blogger.com/profile/14935851368745967586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-61571966363923483122015-07-31T20:13:00.141+05:302015-07-31T20:13:00.141+05:30नहीं, बाइक ऑटोमेटिक नहीं है। ये तो आपको पता ही होग...नहीं, बाइक ऑटोमेटिक नहीं है। ये तो आपको पता ही होगा कि भले ही हम नीचे उतर रहे हों लेकिन हम स्पीड से नहीं चल सकते थे। इसलिये बाइक पहले गियर में लगा दी। जहां जरुरत होती, वहां थोडा सा एक्सीलरेटर बढा देते। पहले गियर में होने के कारण यह ढलान पर होने के बावजूद भी लुढकती नहीं है।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-23850822914055974752015-07-31T20:10:20.962+05:302015-07-31T20:10:20.962+05:30धन्यवाद शाह नवाज जी...धन्यवाद शाह नवाज जी...नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-79971470876775625212015-07-31T20:09:49.676+05:302015-07-31T20:09:49.676+05:30सहमत...सहमत...नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-88521059890989843892015-07-31T20:09:29.840+05:302015-07-31T20:09:29.840+05:30धन्यवाद सैनी साहब...धन्यवाद सैनी साहब...नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-3856042690459053882015-07-31T20:08:50.245+05:302015-07-31T20:08:50.245+05:30हा हा हा... अपनी बात मनवाने और पूर्ण रूप से सहमत क...हा हा हा... अपनी बात मनवाने और पूर्ण रूप से सहमत करवाने के लिये विचार-विमर्श करना होता है, अन्यथा साथी संशय में पडा रहेगा कि नीरज कर क्या रहा है। कम से कम उसे भी पता रहे कि हो क्या रहा है और क्यों हो रहा है?नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-66490627517954429292015-07-31T20:07:05.573+05:302015-07-31T20:07:05.573+05:30उमेश जी, दर्रों पर हमेशा तूफानी हवाएं चलती हैं और ...उमेश जी, दर्रों पर हमेशा तूफानी हवाएं चलती हैं और मौसम भी घाटियों के मुकाबले ठण्डा होता है, बर्फ भी मिल जाती है। इसलिये स्थानीय लोगों के लिये इन्हें पार करना हमेशा ही चुनौती भरा रहा है। तो जब वे दर्रे पर चढ जाते हैं तो धन्यवाद स्वरूप वहां पवित्र झण्डियां लगा देते हैं। इन झण्डियों पर बौद्ध मन्त्र- ॐ मणि पद्मे हुं लिखा होता है या अन्य प्रार्थनाएं लिखी होती हैं। इसके अलावा कोई धार्मिक महत्व नहीं होता। नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.com