tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post520537831417496776..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: करेरी झील से वापसीनीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-4792669167868850742012-03-31T15:38:20.815+05:302012-03-31T15:38:20.815+05:30Hello neeraj.mein kangra se hun aur tumhare kai ar...Hello neeraj.mein kangra se hun aur tumhare kai articals mene padhe.bahut natural aur simple hai sab..bahut acha laga padke maza aa gya.. but kuch esi jagah hai himachal mein jaahn tum abhi nahi ja paye ho aur bo bahut sunder hai.ek tasvir ki tarah.. jese kuch jagah hai BAROT,PURANI CHAMUNDA,CHUDDHAR,NAURADHAR,SHIKARI DEVI.ho sake to is jagah mein program banao..Its nice to read your articales...Amit ChahalAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-16681490175533602412011-07-05T20:39:17.549+05:302011-07-05T20:39:17.549+05:30नीरज भाई ये पोस्ट पढ़ के एक किस्सा याद आ गया .........नीरज भाई ये पोस्ट पढ़ के एक किस्सा याद आ गया ........हम चार लोग bike से डलहौज़ी गए थे ...वहां से भलेइ माता मंदिरचले गए घूमने ....एक सड़क मंदिर से और आगे जा रही थी ....उसपे निकल गए .........३-४ किलो मीटर जा के वो सड़क ख़तम हो गयी ....वहां एक छोटी सी दुकान थी ....सिर्फ चाय थी उसके पास.........चाय पिलाई उसने ...और कुछ था ही नहीं ......हमने कहा बड़ी भूख लगी है यार ...बोला बाबू जी कुछ नहीं है .....खैर मन मार के हम वही पड़े सुस्ता रहे थे ...तभी उसकी माँ घर से रोटी ले आयी ......वो बोला बाबु जी यही खा लो ....और हमारे लिए उसने वो अपनी सब्जी गरम की .....एक जंगली घास होती है वहां ....लिंगड़ी कहते है उसे ....वाह क्या taste था ....अमृत जैसा .........एक एक रोटी खाई हमने प्याज और उस लिंगड़ी की सब्जी के साथ ........पैसे पूछे तो बोला बीस रूपये ..........हमने कहा किस हिसाब से भैया .....बोला बाबूजी चार चाय के बीस रूपये ...स्पेशल बनाई थी आपके लिए ......मैंने पूछा और रोटी के ......वो बोला बाबू जी चाय मैंने आपको ग्राहक समझ के पिलाई ...और रोटी मेहमान समझ के ............किसी दिन पहले फोन कर के आइयेगा ...पूरा हिमाचली खाना खिलाऊंगा .......हम आजकल जब भी हिमाचल जाते हैं हमेशा किसी के घर में ही रुकते है ...as a paying guest ......और पहले ही तय कर लेते है ...भैया लिंगड़ी की सब्जी खिलानी पड़ेगी ...और वो तमाम हिमाचली natural सब्जियां जो जंगलों में लगती हैं .......वहां हमने लिंगड़ी का आचार भी खाया .......भारत के गावों में आज भी अतिथि देवो भव की भावना जीवित है ....दिल्ली तो अब भारत नहीं रहा .......<br /><br />ajitDadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-49483362180102425952011-07-05T20:05:20.423+05:302011-07-05T20:05:20.423+05:30मुझे लगता है दिल्ली वालों की इंसानियत मर गयी है .....मुझे लगता है दिल्ली वालों की इंसानियत मर गयी है ......क्या हर बड़े शहर के लोग ऐसे हो जाते हैं .....मनुष्य नहीं मशीन .........एक हमसफ़र को ...जो बेचारा थका और भूखा है ...कोई एक कप चाय के लिए भी मना कर सकता है ....भारत देश में ........अजीब सा लगता है सोच के ........Dadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-65886085655698449472011-07-05T20:01:51.271+05:302011-07-05T20:01:51.271+05:30हमारे एक दोस्त अभी switzerland हो के आये हैं सपरिव...हमारे एक दोस्त अभी switzerland हो के आये हैं सपरिवार ...एक कंपनी की तरफ से ट्रिप था ....पूरा 5 सितारा ट्रिप था .....सब लोग भी पढ़े लिखे ...so called high class gentry थी .....पर जो गंद उन्होंने वहां पर मचाया ...उसके किस्से सुन के मेरा मन ग्लानि से भर गया ......हमारे देश के education system में hygene कोई subject ही नहीं है ....ये साफ़ सफाई का संस्कार हमने दिया ही नहीं देश वासियों को .......ये तथाकथित पढ़े लिखे लोग भी ऐसा करते हैं ....शर्म आती है .....दिल्ली वालों ने क्या सीखा common wealth games से ......हम हिन्दुस्तानी सूअर हैं .....सूअर रहेंगे ....बल्कि सूअर से भी बदतर ....उस दिल्ली वाली कंपनी और पार्टी का चालान कर के 20 -25 हज़ार का जुर्माना ठोक देते तो सारी जिंदगी के लिए अक्ल आ जाती उन्हें ........<br /><br />ajitDadda ki Khari Kharihttps://www.blogger.com/profile/17964358487564220378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-68787240867007878802011-06-27T06:47:34.353+05:302011-06-27T06:47:34.353+05:30जाट महाराज और गप्पू भाई की जय हो...जय हो...जय हो.....जाट महाराज और गप्पू भाई की जय हो...जय हो...जय हो...Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-80699825510982412042011-06-27T05:48:25.725+05:302011-06-27T05:48:25.725+05:30very nice postvery nice postसहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-56320700262203454682011-06-26T21:16:57.805+05:302011-06-26T21:16:57.805+05:30शानदार और मजेदार. दिल्लीवाले उन हरामखोरों को कुछ स...शानदार और मजेदार. दिल्लीवाले उन हरामखोरों को कुछ सबक सिखाना था.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-48645726027469285282011-06-26T20:02:11.830+05:302011-06-26T20:02:11.830+05:30हा हा -> उनकी यह ‘दर्दभरी’ दास्तान सुनकर हमारा ...हा हा -> उनकी यह ‘दर्दभरी’ दास्तान सुनकर हमारा जी कितना खुश हुआ- यह तो हमे दोनों के साथ-साथ ऊपर वाला ही जानता है।- कसम से :) :)<br /><br />इसपे भी एक जोरदार ताली हा हा --> मैं इस मामले में बिल्कुल पाक-पवित्र हूं। तौबा-तौबा। - :) :)<br /><br />पत्तों के नीचे ओलों वाली बात नयी और अच्छी बात पता चली...वैसे आज फुर्सत में आपकी पूरी करेरी झील यात्रा वृतांत पढ़ गया..<br /><br />मजा आया भाई :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-12488546611984718572011-06-25T13:14:34.799+05:302011-06-25T13:14:34.799+05:30bahut achchhe |bahut achchhe |रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-24285143835400014572011-06-25T12:49:16.524+05:302011-06-25T12:49:16.524+05:30जाट महाराज और गप्पू भाई की जय हो...जय हो...जय हो.....जाट महाराज और गप्पू भाई की जय हो...जय हो...जय हो...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-21819824288837690882011-06-25T11:04:30.449+05:302011-06-25T11:04:30.449+05:30@जाट देवता जी मेरी भी श्रीखंड महादेव जाने की बहुत ...@जाट देवता जी मेरी भी श्रीखंड महादेव जाने की बहुत इच्छा है,लेकिन छुट्टी नहीं मिल पाने के कारण मजबूर हूँ . नीरज और आप के साथ अगला टूर शायद दिसम्बर में .........Gappu jinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-78431667616337163302011-06-25T09:40:48.582+05:302011-06-25T09:40:48.582+05:30मनोरम और सुन्दर जगह को भी "दिल्ली" ही बन...मनोरम और सुन्दर जगह को भी "दिल्ली" ही बनाने पर तुली हुई थी. चिप्स और नमकीन खाते और कोल्ड ड्रिंक्स पीते हुए वो लोग कचरा वही फेंकते जा रहे थे(शायद उनके बाप आकर उसे बाद में साफ करेंगे) मैंने नीरज से कहा तो वो बोला,"अपन तो अपना कचरा साथ लायें हैं, नीचे कहीं सही जगह फ़ेंक देंगे "<br />pata nahin log kab apni jimmedaari samjhengein....<br />neeraj/gappu bhai aap ghhummkadi ko ek salaah hai agar theek lage to..<br />aap jahaan bhi jaate ho to kyon na wahaan ek board laga kar aayaa karo "Pl. Dont left waste material here" kuchh istarah ka, isse logon ko kuchh to msg jayega aur pata bhi ahclta jayega ki ghummakadi sirf ghumna hi nahin, nature ke saath ekaakaar hona hai...<br /><br />waise gapuut u, Ab aap bhi likhna phir se shuru kar do....<br /><br />"डंडा फेंक दे" maine bhi feel kiya hai kai baar ki kathin safar ke saathi ko phekna achha nahin lagta hai...<br />abi mera anubhav sunataa hu.. kuchh dino pehle chardham ko gaye the.. Yamunotri mein jo danda saath chala tha... woh aajkal raigarh(C.G.) mein saheja hua hai...Prakashhttps://www.blogger.com/profile/10398183728210037278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-85542586336691264232011-06-25T09:39:58.346+05:302011-06-25T09:39:58.346+05:30गप्पू भाई
आप कमैन्ट करने के लिये ई मेल की जगह अपने...गप्पू भाई<br />आप कमैन्ट करने के लिये ई मेल की जगह अपने ब्लाग का प्रयोग करे, वैसे आपके कमैन्ट एक पोस्ट से कम नहीं है।<br /> आप भी चल रहे हो श्रीखण्ड महादेव की यात्रा पर, चलो तो मजा आयेगा, जब तीन ऊँत खोपडी एक साथ होगी, और हाँ बाइक पर चलेंगे, आप भी तैयार रखना अपनी बाइक, और कोई हमारे जैसा बावला दीवाना हो तो उसे भी टाँग लेना अपनी बाइक पर?<br /><br />अपने ब्लाग का लिंक मुझे बता देना।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-13036491029734299992011-06-25T08:29:09.568+05:302011-06-25T08:29:09.568+05:30@sanjay ji-Thanks!!@sanjay ji-Thanks!!Gappu jinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-5233140526961061342011-06-25T08:29:01.489+05:302011-06-25T08:29:01.489+05:30@sanjay ji-Thanks!!@sanjay ji-Thanks!!Gappu jinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-14375181781548637722011-06-25T07:14:35.386+05:302011-06-25T07:14:35.386+05:30पोस्ट एक्सीलैंट,
संदीप का कमेंट भी एक्सीलैंट, और
ग...पोस्ट एक्सीलैंट,<br />संदीप का कमेंट भी एक्सीलैंट, और<br />गप्पू जी तो हैं ही एक्सीलैंट। डंडे को आदर वाली बात लिखकर तो गप्पू जी ने ’फ़ट्टे चक दित्ते’<br /><br />अब श्रीखण्ड यात्रा का इंतज़ार है, दो दो जाट देवता एक साथ होंगे और दोनों अपनी अपनी फ़ील्ड के धुरंधर।<br />शुभकामनायें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-87499395578635764822011-06-24T21:43:50.947+05:302011-06-24T21:43:50.947+05:30बहुत सुन्दर यात्रा वृत्तान्त प्रस्तुत किया है आपने...बहुत सुन्दर यात्रा वृत्तान्त प्रस्तुत किया है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-80015138350654303452011-06-24T20:50:59.662+05:302011-06-24T20:50:59.662+05:30करेरी में उकेरी विश्व बन्धुत्व की भावना, वाह।करेरी में उकेरी विश्व बन्धुत्व की भावना, वाह।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-41095237216610694452011-06-24T20:30:50.307+05:302011-06-24T20:30:50.307+05:30सोलह किलोमीटर चलने और सुस्ताने के बाद अब चलने कि ब...सोलह किलोमीटर चलने और सुस्ताने के बाद अब चलने कि बिलकुल इच्छा नहीं थी. लेकिन वो ही चार बजे घेरा....! करेरी गाँव से घेरा लगभग पांच किलोमीटर था और मैं मन ही मन हिसाब लगा कर डर रहा था. लेकिन शरीर को धकेलते हुए मैं नीचे कि तरफ उतरता जा रहा था. नोरा से पांच किलोमीटर और.........! मरवा दिए!! जैसे तैसे नोरा के आगे सड़क तक आये मैंने सोचा चलो अब सड़क-सड़क चलना है......गाँव के कुछ लोग बैठे मिले, नीरज ने रास्ता पूछा . उन्होंने शोर्टकट बता दिया. मेरा मन ख़राब हो गया, क्योंकि मैं अब खड़ी उतराई की जगह सड़क पर चलना चाहता था...... नीरज के साथ हो लिए. एक जगह दो रास्ते मिले मैंने नीरज से पुछा, "कौन से पर चलना है?" (यहाँ मैं एक रोचक बात बताना चाहूँगा,वो ये कि इस पूरी यात्रा में हम कई बार रास्ता भटके ,लेकिन कोई दैव योग ही था कि थोडा सा आगे जाने पर ही कोई न कोई आकर हमें सही रास्ता बता देता था. नहीं तो हमारी यात्रा और भी दुश्कर हो जाती.) और मैं नीरज के बताये रस्ते पर न चल कर दूसरे पर चल दिया और पहली बार हम अपने मन से सही रस्ते पर चल दिए. पुल के पास से उतरते हुए हम जैसे ही घेरा गाँव कि सड़क पर पहुंचे नीरज ने अपने हाथ का डंडा फ़ेंक दिया. मैंने पीछे मुड़ कर देखा दूर चोटीपर बर्फ चमक रही थी और बड़ी ऊंचाई पर घेरा गाँव दिख रहा था. मुझे अपने चलने पर विश्वास नहीं हो रहा था. मात्र छः-साढ़े छः घंटे में हम बीस-बाईस किलोमीटर चले थे. मैं मन ही मन अपने को और पकृति की भव्यता को सराह ही रहा था कि नीरज कि आवाज कानों में पड़ी, ''डंडा फेंक दे" मैंने भी हाथ का डंडा फेंकना चाहा, लेकिन कठिन सफर के इस साथी को अचानक फ़ेंक नहीं पाया. फिर से एक बार गौर से डंडे को देखा और आदर से सड़क के किनारे रख दिया. बस स्टेंड पर आकर एक पिकअप वाले से बात की तो सौ रुपये दो सवारियों के मांगे. थोड़ी देर बाद दूसरा जाने लगा तो उससे बात की तो वो 'बस के किराये' में मान गया और हम वहां से चल दिए एक कठिन लेकिन शानदार यात्रा की यादें मन में संजोये हुए.......Gappu jinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-17215899669051175192011-06-24T20:28:20.874+05:302011-06-24T20:28:20.874+05:30करेरी झील से नीचे उतरते हुए बड़ी जोर की भूख लगी हु...करेरी झील से नीचे उतरते हुए बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी,क्योंकि खाना खाए हमें चौबीस घंटे से ज्यादा हो गए थे. इधर मन और आँखे भी "प्यासी" थी. प्रकृति अपने पूरे सौन्दर्य के साथ हमारे सामने प्रस्तुत थी. हर दृश्य को आँखों और कैमरे में कैद कर लेना चाहता था. नीरज की चाल बढ़ते ही मैं उसके तेवर समझ गया था. "दिल्ली वाली पाल्टी" के बिखरे केम्प से लग रहा था कि वो जा चुके हैं. एक केम्प वाले से पुछा, "भैया चाय मिलेगी?" उसने दूसरे से पूछा और कहा, "है". खाना न मिले और चाय मिल जाये ये ही मेरे लिए काफी है. मैंने झट से वहां पड़े दो गिलास धोये और हम चाय पीने लगे. केम्प वाला लड़का बोला, "हलुवा भी है चाहिए ?" अंधे को क्या चाहिए......नीरज वहीँ पड़ी एक थाली में हलुवा डाल कर शुरू हो गया. ऐसा लग रहा था की कल की कसर भी आज ही निकाल रहा है. मुझे हलुआ और वो भी सूजी का पसंद नहीं है. हमने पैसे के लिए पूछा तो उन भले मानुसों ने मना कर दिया. हमने उन्हें मन ही मन ढेर सारी दुआएं दी और अपनी राह पर बढ़ चले. <br />एक दो किलोमीटर पर ही वो. "दिल्ली वाली पाल्टी" किसी पस्त सेना की तरह आगे बढ़ रही थी. नीरज की गति को पकड़ने के लिए मुझे लगभग भागना पड़ रहा था , जबकि मैंने सोचा था की वापस चलते हुए आराम से फोटो खीचेंगे और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेंगे. "दिल्ली वाली पाल्टी" इस मनोरम और सुन्दर जगह को भी "दिल्ली" ही बनाने पर तुली हुई थी. चिप्स और नमकीन खाते और कोल्ड ड्रिंक्स पीते हुए वो लोग कचरा वही फेंकते जा रहे थे(शायद उनके बाप आकर उसे बाद में साफ करेंगे) मैंने नीरज से कहा तो वो बोला,"अपन तो अपना कचरा साथ लायें हैं, नीचे कहीं सही जगह फ़ेंक देंगे " और चार बजे तक घेरा पहुचने की हिदायत उसने दे दी. <br />अब "सौन्दर्य" तो दूर की बात "घेरा" दिखने लगा था . उससे पहले हमें करेरी गाँव पहुँचाना था. जिस रास्ते पर हमें चढ़ते हुए तनिक भी डर नहीं लगा वो उतरते हुए बड़ा भयानक हो गया था और ओलों से टूट कट गिरे पत्तों और उनके नीचे पड़े ओलों ने इस भयावहता को और बढ़ा दिया था. फिर भी हम अपनी गति से उतरते रहे. जहाँ हमें केरल की पार्टी मिली थी उससे थोडा नीचे एक झरने पर कोलाहल सुनाई दिया. नजदीक जाकर देखा तो तीन अंग्रेज एक अंग्रेजनी मस्ती(नहा रहे थे) कर रहे थे और दो गाईड बैठे थे. हम भी वहीँ बैठ गए. बात-चीत से पता चला कि अंग्रेजों से एक आदमी का ढाई हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से इस ट्रेकिंग कि फीस वसूली जाएगी और पांच दिन का ट्रेक था. वहां से पानी पी कर हम फिर अपनी राह चल दिए. दो किलोमीटर से भी ज्यादा का झील का चक्कर लगाने और साढ़े तेरह किलोमीटर करेरी गाँव तक(लगभग पंद्रह -सोलह किलोमीटर) हम लोग सवा या डेढ़ बजे तक चल चुके थे. गाँव में मक्की कि रोटी के साथ चाय बड़ी मुश्किल से हलक से नीचे उतर रही थी. लेकिन नीरज बोला,"भूख से टांगे कांपने लगेंगी" तो जो मिला वो खाया.Gappu jinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-17180736738363715992011-06-24T19:54:59.303+05:302011-06-24T19:54:59.303+05:30पिछली कुछ पोस्ट्स एक साथ पढ़ीं. स्मरणीय यात्रा और ...पिछली कुछ पोस्ट्स एक साथ पढ़ीं. स्मरणीय यात्रा और यात्रा इससे जुडी रोचक पोस्ट्स हम तक पहुचने का धन्यवाद. स्पौंसर्ड घुमक्कड़ी में गद्दियों वाली उन्मुक्तता कहाँ !अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-24913939564290115072011-06-24T19:13:59.883+05:302011-06-24T19:13:59.883+05:30उन की ऐसी की तैसी, जिन्होंने चाय भी नहीं पिलायी थी...उन की ऐसी की तैसी, जिन्होंने चाय भी नहीं पिलायी थी, ऊपर से गडबड कर दी गप्पू व घुमक्कड(नीरज) ने कि वापसी में वही चाय पी कर आये, नहीं पीनी थी चाय व नहीं खाना था हल्वा, ऐसों को तो ढेर सारी सुनानी थी।<br /><br />ये जम्बो जैट वाली उतराई अभी फ़िर से करनी है, श्रीखंड महादेव की प्यारी सी पाँच दिनों की पैदल यात्रा में। चार दिन भी नहीं लगाने है।<br /> <br />दिनेशराय द्विवेदी जी को भी १५ जुलाई की रात को चलने के लिये तैयार रहने के लिये कह दो भाई, ताकि उन की भी हसरत हो जाये पूरी, हम जैसे सिरफ़िरों के साथ जाने पर कैसा मजा आता है।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-92007445782613164782011-06-24T16:31:08.604+05:302011-06-24T16:31:08.604+05:30भाई हम कभी वहां गये "दिल्ली के कबाड" की ...भाई हम कभी वहां गये "दिल्ली के कबाड" की तरह ही जायेंगें।<br /><br />वैसे आपमें और उस आदमी में गहरे में देखा जाये तो कुछ फर्क नहीं है। वो पहले दिन खुश हुआ और आप दूसरे दिन खुश हुये (एक दूसरे की हालत पर)<br />यानि दोनों ने एक-दूसरे के दुख में लुत्फ उठाया :)<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-57427149323766262172011-06-24T16:06:36.525+05:302011-06-24T16:06:36.525+05:30सर्वसाधनयुक्त अंसानों से सौ गुने अच्छे तो सर्वगुणस...सर्वसाधनयुक्त अंसानों से सौ गुने अच्छे तो सर्वगुणसम्पन्न वे इंसान हैं जिन्हें हम गद्दी कहते हैं।<br /><br />This is 100% True.....Prakashhttps://www.blogger.com/profile/10398183728210037278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-67304121101301978342011-06-24T14:46:58.194+05:302011-06-24T14:46:58.194+05:30Neeraj ji or Gappu ji aap ne jo kareri yatra ki ba...Neeraj ji or Gappu ji aap ne jo kareri yatra ki bahut hi badiya rahi bahut hi maja aaya aapne delhi walo ki halat per khushi nahi manani chahiye thi aapme or unme kaya phark huya aapne unko ahsas karana chahiye tha taki wo aage se kabhi bhi asi galti na karenaashuhttps://www.blogger.com/profile/05874769442316477350noreply@blogger.com