tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post1027903430625726270..comments2024-03-11T15:32:30.331+05:30Comments on मुसाफिर हूँ यारों: लद्दाख बाइक यात्रा- 13 (लेह-चांग ला)नीरज मुसाफ़िरhttp://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-58844170346270319362015-10-18T16:14:04.927+05:302015-10-18T16:14:04.927+05:30ऐसी सुनसान जगह पर निशा के साथ टेंट में सोने से डर ...ऐसी सुनसान जगह पर निशा के साथ टेंट में सोने से डर नहीं लगता.....दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-21646521417749442902015-09-20T16:24:21.398+05:302015-09-20T16:24:21.398+05:30इस रात की सुबह नहीं इस रात की सुबह नहीं Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15962413995459735754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-70089038262433269452015-08-12T15:58:14.697+05:302015-08-12T15:58:14.697+05:30धन्यवाद सर... मैं बैटरी बैंक ही ले लेता हूँ जिससे ...धन्यवाद सर... मैं बैटरी बैंक ही ले लेता हूँ जिससे लम्बे समय तक फ़ोन का जीपीएस चल सके ........Ajitabhhttps://www.blogger.com/profile/12976104361268650912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-42816918053479974742015-08-12T07:37:31.853+05:302015-08-12T07:37:31.853+05:30सर जी, अगर आपको प्रोफेशनल कार्यों के लिये ज्यादा ए...सर जी, अगर आपको प्रोफेशनल कार्यों के लिये ज्यादा एक्यूरेसी की जरुरत है, सटीक ट्रेकिंग मैप बनाने हैं तब तो जीपीएस डिवाइस लेना उपयुक्त है अन्यथा नहीं। आपका एण्ड्रॉयड फोन तीन मीटर की एक्यूरेसी तक बता देता है तो बहुत अच्छा है। मोबाइल में जब हम जीपीएस इस्तेमाल करते हैं तो यह काफी बैटरी खाता है, उसके लिये आप अच्छा बैटरी बैंक ले सकते हैं।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-57416239974064700752015-08-12T07:34:38.939+05:302015-08-12T07:34:38.939+05:30बर्फबारी तो कभी-कभार ही होती है लेकिन रात में जबरद...बर्फबारी तो कभी-कभार ही होती है लेकिन रात में जबरदस्त ठण्ड और दिन में जबरदस्त गर्मी रोज ही होती है।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-3576727138171611002015-08-11T20:53:43.667+05:302015-08-11T20:53:43.667+05:30जीपीएस के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ....जीपीएस के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने .... कृपया एक बात बताएं .. मेरे एंड्राइड फोन का जीपीएस 3 मीटर तक की एक्यूरेसी बता देता है ... क्या यह ठीक है .... अथवा यदि मैं जीपीएस डिवाइस लेना चाहूँ तो क्या आप दो चार बेहतरीन suggest करेंगे ... 25000 तक चलेगा..... लेकिन handheld हो बस .....Ajitabhhttps://www.blogger.com/profile/12976104361268650912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-71849172148120105842015-08-11T19:51:59.572+05:302015-08-11T19:51:59.572+05:30रात मे जबरजस्त बर्फबारी और दिन मे तेज धूप और गर्मी...रात मे जबरजस्त बर्फबारी और दिन मे तेज धूप और गर्मी ,क्या यहा ऐसा मौसम कभी कभी या हमेशा रहता है । VIMLESH CHANDRA - RAILWAY WRITERhttps://www.blogger.com/profile/05169901862711497657noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-1792373316858226632015-08-11T18:24:18.324+05:302015-08-11T18:24:18.324+05:30मशीन का बाहरी वायुदाब से मतलब होता है विशाल जी। मश...मशीन का बाहरी वायुदाब से मतलब होता है विशाल जी। मशीन केवल वही वायुदाब बताती है जो उसके अन्दर जाता है। मान लीजिये अभी मशीन दिल्ली में खाली रखी है। तो मशीन के अन्दर वातावरण के दाब की ही हवा जाती है। मशीन को शून्य पर सेट कर दिया जाता है। अब यही मशीन लेह जायेगी तो वहां वायुदाब दिल्ली के मुकाबले कम है। इसे भी मशीन अवश्य बतायेगी। शून्य नहीं बतायेगी बल्कि शून्य से कम बतायेगी। प्रत्येक मापन यन्त्रों में त्रुटि को एडजस्ट करने का इंतजाम होता है, इस मशीन में भी होता है। लेह में यह मशीन फिर से शून्य पर सेट कर दी जाती है। अब यह जो भी दाब बतायेगी, वो लेह के वायुदाब के सापेक्ष होगा, न कि दिल्ली के।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-54934286628803251472015-08-11T08:55:54.450+05:302015-08-11T08:55:54.450+05:30नीरज जी आपके यात्रा वृतांत की जितनी तारीफ़ की जाए क...नीरज जी आपके यात्रा वृतांत की जितनी तारीफ़ की जाए कम है मन करता है कि इनको हार्ड कॉपी में सहेजकर रख लूँ और कभी लेह जाऊ तो उसको साथ ले जाऊ। एक बात समझ नहीं आई जब आपने चांगला जाने से पहले पहियों की हवा की जांच कराई जो कि हवा का दाब मापने की मशीन से ही कराई होगी तो उसने 35 की जगह 65 psi कैसे बता दिया। वास्तव में जब हम ट्यूब में हवा भरते है तो उस पर दो तरफ से हवा का दबाव होता है एक तो ट्यूब के अंदर से बाहर की और दूसरा ट्यूब के बाहर के वातावरण में उपस्थित हवा का ट्यूब के ऊपर पढ़ने वाला दबाव। दोनों तरह के दबाव में संतुलन जरुरी है। अगर ट्यूब के अंदर बाहर के दबाव के अपेक्षा कम दबाव होगा तो ट्यूब पिचक जायेगी अगर ट्यूब के अंदर बाहर के दबाव की अपेक्षा अधिक दबाव होगा तो ट्यूब फट जायेगी। मतलब दोनों तरह के दबाव के संतुलन से ही टायर ट्यूब को क्षति से बचाया जा सकता है। जैसे जैसे हम ऊंचाई पर जाते है बाह्य हवा का दबाव कम होता जाता तो जाहिर है ट्यूब के अंदर स्तिथ हवा का बाहर की और दाब बढ़ जाता है लेकिन जब हम मशीन से ट्यूब में स्तिथ हवा का दाब मापते है तो वह कैसे बदल जाएगा मशीन को तो उतना ही दाब बताना चाहिये जितना मैदानी क्षेत्र में बता रही थी क्योंकि मशीन का बाहरी हवा के दबाव से तो कोई मतलब ही नहीं होता हैMr. Vishalhttps://www.blogger.com/profile/08777013429638986072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-49170361231638198292015-08-10T23:19:17.106+05:302015-08-10T23:19:17.106+05:30नहीं।नहीं।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-25392410492870838452015-08-10T22:32:53.847+05:302015-08-10T22:32:53.847+05:30Tareef karne ka aapne mana kar diya hai to ab kya ...Tareef karne ka aapne mana kar diya hai to ab kya kahe?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08580077999434828593noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-61318966587003229132015-08-10T21:37:17.945+05:302015-08-10T21:37:17.945+05:30Thnk u Bhai Thnk u Bhai Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14794655515018314205noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-59567958267473651022015-08-10T21:33:52.312+05:302015-08-10T21:33:52.312+05:30Chushul, Hanle , Tso moriri nahi gaye .......Chushul, Hanle , Tso moriri nahi gaye .......Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14794655515018314205noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-55431160127751942682015-08-10T21:06:03.399+05:302015-08-10T21:06:03.399+05:30कोटी कोटी धन्यवाद ।कोटी कोटी धन्यवाद ।Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-43710913329964827622015-08-10T20:58:33.762+05:302015-08-10T20:58:33.762+05:30वह याकपालकों का तम्बू था। ये लोग अस्थायी तम्बुओं म...वह याकपालकों का तम्बू था। ये लोग अस्थायी तम्बुओं में रहते हैं और ठिकाने बदलते रहते हैं। अक्सर सडक से थोडा हटकर अपने तम्बू लगाते हैं। लेकिन यहां उन्होंने एक तम्बू सडक के बिल्कुल किनारे लगा दिया और लिख दिया- स्नोलैण्ड रेस्टौरेण्ट। कोई यात्री आयेगा तो समझेगा कि यहां कुछ खाने-पीने का इंतजाम है। आपको अगर खाने-पीने को चाहिये तो आपको उनके सडक से दूर तम्बुओं से उन्हें बुलाना पडेगा, आवाज लगानी पडेगी। वे आयेंगे और आपको चाय बनाकर देंगे या आमलेट देंगे; जो भी कुछ आपको चाहिये और उनके पास उपलब्ध हो। इसके बदले उन्हें कुछ आमदनी भी हो जाती है। हमने जो चाय पी, वो बीस रुपये की थी और याक के दूध की थी। नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-10459680168900853722015-08-10T20:55:54.801+05:302015-08-10T20:55:54.801+05:30आगे की लेखो मे इन बातो की भी थोडी जगह दीजिएगा तो ब...आगे की लेखो मे इन बातो की भी थोडी जगह दीजिएगा तो बात बन जाएगा ।Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-69515492184381972852015-08-10T20:52:22.729+05:302015-08-10T20:52:22.729+05:30लद्दाख में दो तरह के ठिकाने होते हैं- एक तो स्थायी...लद्दाख में दो तरह के ठिकाने होते हैं- एक तो स्थायी गांव और दूसरे अस्थायी तम्बू। याकपालक और भेडपालक अस्थायी तम्बुओं में रहते हैं और अपने ठिकाने बदलते रहते हैं। ज्यादातर स्थायी गांवों में आपको होमस्टे मिलेंगे। ये लोग यात्रियों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। आपने इन अस्थायी तम्बुओं वाले के रेस्टॉरेण्ट के साइन बोर्ड का फोटो देखा जिसपर लिखा है कि याक, बकरी (यहां भेड) का दूध और याक राइडिंग यहां उपलब्ध है। इसका क्या अर्थ है, आप स्वयं समझ सकते हैं।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-1493363403564477652015-08-10T20:51:56.994+05:302015-08-10T20:51:56.994+05:3017 जून को ।
आप लिखे है कि आप रेस्टोरन्ट मे गए वहा ...17 जून को ।<br />आप लिखे है कि आप रेस्टोरन्ट मे गए वहा कोई नही था तभी याक पालको के तम्बू से कोई आई और चाय मिल गया । <br /><br />इसे थोडा विस्तार से बताए ।<br />क्योकि मेरे जैसे आपके कई पाठक है जो ये जानना चाहते है कि उन लोगो की मानसिकता कैसी है ।आपके साथ वो किस प्रकार व्यवहार की। जैसे कि वो आपका मनःस्थिति को समझने की कोशिश की ।इत्यादि ।Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-43659936949951195762015-08-10T20:46:49.242+05:302015-08-10T20:46:49.242+05:30अगर हम खारदुंगला पार कर जाते तो हम नुब्रा घाटी अवश...अगर हम खारदुंगला पार कर जाते तो हम नुब्रा घाटी अवश्य जाते। उधर दिस्कित, हुण्डर, पनामिक और तुरतुक तक जाने के लिये कोई परमिट नहीं लगता।<br />नहीं, भूखे नहीं सोये। हमारे पास हमेशा इतना खाना अवश्य होता है कि एक दिन का काम आराम से चल जाये। बिस्कुट, नमकीन और कोल्ड ड्रिंक हम हमेशा अपने साथ रखते थे।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-30925910986039562072015-08-10T20:44:03.279+05:302015-08-10T20:44:03.279+05:30हां जी, फिर कोठारी साहब मनाली चले गये थे। हां जी, फिर कोठारी साहब मनाली चले गये थे। नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-31635096147762355372015-08-10T20:43:10.663+05:302015-08-10T20:43:10.663+05:30अगर आसमान में बादल न हों तो लद्दाख में गर्मियों मे...अगर आसमान में बादल न हों तो लद्दाख में गर्मियों में दिन में तेज धूप के कारण तापमान चालीस डिग्री तक भी पहुंच जाता है लेकिन हवाएं ठण्डी होती हैं। लू नहीं चलती।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-40513500999458522612015-08-10T20:41:56.393+05:302015-08-10T20:41:56.393+05:30हां जी, लद्दाख एक मरुस्थल है और यहां केवल नदी घाटि...हां जी, लद्दाख एक मरुस्थल है और यहां केवल नदी घाटियों में ही थोडा बहुत पानी मिलता है। बाकी कहीं पानी नहीं मिलता।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-72087914238423133552015-08-10T20:41:55.166+05:302015-08-10T20:41:55.166+05:30पहाड नगें नजर आते है,
क्या नमी की कमी होती है पहा...पहाड नगें नजर आते है,<br />क्या नमी की कमी होती है पहाडो पर ?Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-65984926394095130702015-08-10T20:30:32.310+05:302015-08-10T20:30:32.310+05:30पहाड नगें नजर आते है,
क्या नमी की कमी होती है पहा...पहाड नगें नजर आते है,<br />क्या नमी की कमी होती है पहाडो पर ?Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1291960956767275756.post-84248906238009877802015-08-10T20:22:39.437+05:302015-08-10T20:22:39.437+05:30क्या आप गाव वालो से बात चीत किए है ?
वे लोग घुम्मक...क्या आप गाव वालो से बात चीत किए है ?<br />वे लोग घुम्मकडो के साथ कैसा व्यवहार करते है ।<br />यदि कोई गाव मे रहना चाहे तो एक दो दिन के लिए घर मिल सकता है ।<br />Kapil Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/08101533689102937817noreply@blogger.com