इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । दोपहर बारह बजे हम मदमहेश्वर से वापस चल पडे। आज हमारा बीस किलोमीटर दूर उनियाना पहुंचना मुश्किल लग रहा था। 17 किलोमीटर दूर रांसी पहुंचना भी मुश्किल ही था। इसलिये तय किया कि आज रात गौंडार में रुकेंगे। यहां से दस किलोमीटर है। हमारे पास समय ही समय था। आराम से भी चलेंगे तो तीन घण्टे में जा पहुंचेंगे। पहली मानव बस्ती सात किलोमीटर चलने के बाद खटरा चट्टी है। सीधे फतेहसिंह के घर में। जब हम मदमहेश्वर जा रहे थे, तब भी घण्टे भर तक फतेहसिंह के यहां रुके थे और लंच किया था। अब भी लंच का ही समय है। फरमाइश हुई सेवईं खाने की। फतेहसिंह ने बताया कि आज दूध कम है। लेकिन थोडा सा पाउडर वाला दूध था। फतेहसिंह गाय का दूध तो यात्रियों के लिये इस्तेमाल करता था जबकि पाउडर वाला दूध अपने लिये। हमने उससे कह दिया कि कोई बात नहीं, दोनों को मिलाकर थोडा बहुत पानी डाल दो। हमारा काम चल जायेगा।
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग