इस यात्रा वृत्तान्त को आरम्भ से पढने के लिये यहां क्लिक करें । मसूरी यात्रा पर जाने से पहले बहुत दूर-दूर जाने का प्रोग्राम बना लिया था। असल में चार दिन की छुट्टी मिल गई थी। और अपना एक साथी बहादुर सिंह मीणा बहुत दिन से सिर हो रहा था कि साहब, इस बार जब भी जाओगे तो मुझे भी ले चलना। उसे हिमालय का कोई अनुभव नहीं है, तो ऐसे महानुभावों को मैं पहली यात्रा हिमालय की ही कराना पसन्द करता हूं। मैंने उससे बताया कि 8 से 11 नवम्बर की छुट्टी ले ले, हिमालय पर चलेंगे। उसे इतना भी आइडिया नहीं था कि हिमालय है किस जगह पर। हां, बस है कहीं भारत में ही। उसने यह भी सुन रखा था कि हिमालय पर बरफ होती है और नवम्बर का महीना वैसे भी ठण्डा होने लगता है तो वहां और भी ज्यादा ठण्ड होगी। इस एक बार से वो भयभीत था। उधर मेरे दिमाग में कई जगहें आ रही थीं। खासकर चार जगहें- मनाली, सांगला घाटी, हर की दून और डोडीताल। आखिर में सारा हिसाब किताब लगाया तो मनाली और हर की दून ने बाजी मारी। मुझसे अक्सर मनाली के बारे में पूछा जाता है और मैं अभी तक वहां गया नहीं हूं तो उसके बारे में बताने में बडी दिक्कत होती है। और रही हर की दून क
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग